सभी रासायनिक प्रयोगशालाओं और उद्योगों में अम्लों और क्षारों का पता लगाने के लिए लिटमस पेपर (Litmus Paper) काम में लाए जाते हैं. लिटमस पेपर लाल और नीले रंग के होते हैं. जब नीले लिटमस को किसी अम्ल या अम्लीय विलयन (Acidic Solu- tion) में डाला जाता है, तो इसका रंग लाल हो जाता है. इसी प्रकार क्षारों और क्षारों के घोल में लाल लिटमस का रंग नीला हो जाता है. उदासीन घोल का लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होता. इस प्रकार लिटमस पेपर की सहायता से यह पता लगा लिया जाता है कि अमुक घोल अम्लीय है या क्षारीय है, या इन दोनों में से कोई भी नहीं है.
जानते हैं कि लिटमस पेपर क्या होता है और इसे कैसे बनाया जाता है ?
लिटमस एक प्रकार का रंग होता है, जिसे लाइसेन (Lichen) के छोटे-छोटे पौधों से बनाया जाता है. ये पौधे नीदरलैंड्स में बहुत अधिक मात्रा में पैदा होते हैं. लाइसेन के पौधों की अमोनिया, पोटाश और चूने के साथ वायु को उपस्थिति में क्रिया कराई जाती है. इस क्रिया के फलस्वरूप रंगीन पदार्थ बनते हैं. ये लाल और नीले रंग के होते हैं. इन रंगों का घोल बना लिया जाता है. इस घोल में कागज डुबोकर सुखा लिया जाता है. यही घोलयुक्त कागज लिटमस पेपर कहलाता है. इसे छोटे- छोटे टुकड़ों में काटकर और उचित प्रकार से पैक करके बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है. इसी पेपर को रासायनिक प्रयोगशालाओं में अम्लों और क्षारों के परीक्षण के लिए काम में लाया जाता है.
लाइसेन के एक दूसरे पौधे से ओरचिल नामक लाल रंग का पदार्थ बनाया जाता है. इससे लाल रंग का लिटमस पेपर बनाया जाता है. एल्केनेट एक और रंगीन पदार्थ है जो एलकाना टिंक्टोरिया नामक पौधे की जड़ों से प्राप्त किया जाता है. यह एल्कोहल, बेंजीन और ईथर में घुलनशील होता है. इस घोल को सफेद कागज पर लगाकर लाल लिटमस बनाया जाता है,
जब कोई रसायनशास्त्री अम्ल और क्षारों से संबंधित रासायनिक क्रिया का अध्ययन करता है, तो वह अम्लीय घोल में नीले लिटमस की एक दो बूंद डालता है. इससे इनका रंग लाल हो जाता है. इस घोल में वह बूंद-बूंद करके क्षार का घोल डालता जाता है. एक स्थिति ऐसी पहुंचती है, जब इसका रंग हल्का नीला होने लगता है. इस स्थिति में क्षार द्वारा अम्ल का पूर्ण उदासीनीकरण (Neutralization) हो जाता है.
अम्ल और क्षार आपस में उदासीनीकरण की क्रिया द्वारा लवण बनाते हैं. हम अपने जीवन में अनेक प्रकार के लवण प्रयोग करते हैं. आम जीवन में खाने के काम आने वाला नमक भी एक प्रकार का लवण है, जिसे सोडियम क्लोराइड कहते हैं.
आजकल लिटमस कागज कुछ कृत्रिम विधियों द्वारा बनाए गए पदार्थों से भी बनाया जाता है. एजोलिटमिन, क्रिसथोलिटमिन, स्पेनिओलिटमिन आदि ऐसे पदार्थ हैं, जिन्हें लिटमस पेपर के निर्माण के काम में लाया जाता है. ये एक प्रकार के फेनोक्सीजन के यौगिक हैं, जिसका निर्माण सन् 1961 में शुरू हुआ था.
लाइसेन से आर्किल नामक रंगों का मिश्रण भी प्राप्त किया जाता है, जो ऊन और सिल्क को बैंगनी रंग देने के लिए प्रयोग में लाया जाता है.