लेखक: Shailja Dubey

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल लोगों को सही दिशा देने में कर सकें।" इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 5 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। अभी मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन, सामान्य ज्ञान और जीवनशैली समेत अन्य विषयों पर काम कर रही हूं।

हम जानते हैं कि हमारी धरती का लगभग 71 प्रतिशत भाग समुद्रों के पानी से ढका है. संसार के तीन प्रमुख महासागर हैं अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean), प्रशांत महासागर और हिंद महासागर. कुछ लोग आर्कटिक सागर और एन्टार्कटिक सागरों को भी महासागरों की श्रेणी में लाते हैं. लेकिन वास्तव में आर्कटिक सागर अटलांटिक सागर का ही हिस्सा है और एन्टार्कटिक सागर दूसरे समुद्रों के दक्षिणी भागों से मिलकर बना है. अटलांटिक महासागर जल का अथाह विस्तार है, जो यूरोप और अफ्रीका को अमेरिका से अलग करता है. इसका आकार बीच में से पिचके हुए गिलास की तरह है. अफ्रीका और…

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आम अनुभव की बात है कि जब हम किसी भवन यकी तीसरी या चौथी मंजिल तक सीढ़ियों द्वारा चढ़कर जाते हैं, तो सांस फूलने लगती है, लेकिन उतरते समय ऐसा नहीं होता. किसी भारी वस्तु को उठाकर ऊपर रखने में हमें जोर लगाना पड़ता है, इसी प्रकार जब हम किसी पहाड़ पर चढ़ते हैं, तो जल्दी ही हमारी सांस फूल जाती है, लेकिन पहाड़ से उतरते समय ऐसा नहीं होता. क्या आप जानते हो कि ऐसा क्यों होता है? हम जानते हैं कि हमारी धरती अपने गुरुत्व बल के द्वारा प्रत्येक वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है. धरती…

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अंतरिक्ष यान में जाने वाले व्यक्ति भारहीनता (Weightlessness) का अनुभव करते हैं. अंतरिक्ष यान में जो भी चीज बंधी हुई या जुड़ी हुई नहीं होती, वह तैरने लगती है. अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) को खाने-पीने के लिए विशेष प्रकार के उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक होता है. अंतरिक्ष यान के अंदर रहने वालों को किसी भी प्रकार की गति करते हुए (जैसे चालते-फिरते या उठते बैठते) अपनी शक्ति पर नियंत्रण रखना पड़ता है, नहीं तो वे अंतरिक्ष यान की दीवारों अथवा उपकरणों से टकरा जायें, सोते समय भी अंतरिक्ष यात्री अपने शरीर को एक ही जगह नहीं टिकाये रख पाते. इसलिए…

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आवनमंडल (lonosphere) हमारे वायुमंडल का वह ऊपरी हिस्सा है, जिसमें इलेक्ट्रोन और आयन कण भारी संख्या में उपस्थित हैं. आयनमंडल धरती की सतह से 50 किमी. की ऊंचाई से लेकर 500 किमी. की ऊंचाई तक फैला हुआ है. जब 30 मैगाहर्ट्ज से कम आवृत्ति की रेडियो तरंग आयनमंडल से टकराती है, तो यह इसके द्वारा परावर्तित हो जाती है. यह परार्वतन ठीक उसी प्रकार का होता है, जैसे प्रकाश की किरण का दर्पण द्वारा होता है. इस परावर्तित तरंग को पृथ्वी पर रेडियो द्वारा पुनः प्राप्त किया जा सकता है. वास्तविकता तो यह है कि समस्त धरती पर शॉर्ट वेव…

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प्राचीन काल से ही मनुष्य समुद्र की तलहटी के विषय में जानने सेका इच्छुक रहा है. हजारों साल तक वह थोड़े समय के लिए गोता लगाकर यह जानने का प्रयत्न करता रहा कि समुद्रों, झीलों और नदियों की तलहटी कैसी है और वहां क्या मिलता है? इन गहराइयों में वह अधिक देर तक नहीं रुक पाता था, क्योंकि उसके पास पानी के अंदर सांस लेने का कोई साधन नहीं था. लेकिन आज ऐसे तरीके विकसित कर लिए गए हैं, जिनको प्रयोग में लाकर वह पानी के अंदर सांस ले सकता है और अधिक देर तक ठहर कर समुद्र तल के…

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ऊनी कपड़े, कंबल और गलीचे भोज्य पदार्थ तो नहीं ॐ है, लेकिन आश्चर्य की बात। है कि कुछ ऐसे कोड़े हैं, जो अपने भोजन के लिए इन कपड़ों पर ही निर्भर रहते हैं. इन्हें कपड़े खाने वाले कोड़े कहा जाता है. इनकी कई किस्में होती हैं. अंग्रेजी में इन्हें क्लॉथ मॉच, टेपेस्ट्री मॉथ, केस मेकिंग मॉथ तथा फर माँथ कहते हैं. सामान्य कपड़े खाने वाले कीड़े का नाम टिनोला बिसेलीला (Tincola Bisselliella) है. कपड़ों में सूराख करने का काम कीड़ा (Moth) नहीं करता, बल्कि इस कीड़े के लार्वा ऊनी कपड़ों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिससे कपड़ों…

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द्वितीय महायुद्ध के बाद संसार में शांति स्थापित करने और युद्ध समाप्त करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी. इसका यह उद्देश्य भी था कि आपसी झगड़ों का निबटारा युद्ध से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा किया जाना चाहिए, संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र पर, 51 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने सैन फ्रांसिस्को में हुई एक गोष्ठी में 26 जून सन् 1945 को दस्तखत किए थे. यह घोषणा-पत्र भारत, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, रूस, अमेरिका तथा दूसरे देशों को सरकारों का समर्थन प्राप्त करके 24 अक्तूबर सन् 1945 को लागू किया गया. इस संघ का नाम…

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हम में से अधिकतर लोगों ने अजंता (Ajanta Caves) और एलोरा (Ellora Caves) की गुफाओं के बारे में सुना ही होगा. ये गुफाएं चट्टानों में से काटे गए अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं. अजंता की गुफाएं अजंता गांव के पास हैं, जो महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद नामक स्थान के उत्तर में लगभग 102 किमी. की दूरी पर हैं. इसी प्रकार एलोरा को गुफाएं एलोरा गांव के पास हैं, जो औरंगाबाद के उत्तर-पूर्व में लगभग 29 किमी. की दूरी पर स्थित हैं. अजंता के पास का रेलवे स्टेशन जलगांव है. औरंगाबाद का स्टेशन भी बहुत अधिक दूर नहीं है. दर्शकों…

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हम सभी ने नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) का नाम सुना है. इतिहास में कुछ ही लोग इतने शक्तिशाली और प्रभावशाली हुए हैं, जितना कि नेपोलियन था. वह एक ऐसा उदार तानाशाह था. जिसने अपनी शक्ति को लोगों के हित के लिए ही प्रयोग किया, केवल अपने स्वार्थों के लिए नहीं. नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म कोर्सिका टापू के अजासिओ (Ajaccio) नामक स्थान पर 15 अगस्त सन् 1769 में हुआ था. जब वह छोटा ही था, तभी अपनी तुलना वह इतिहास के महान वीरों से किया करता था. नेपोलियन की शिक्षा फ्रांस में हुई. 16 साल की उम्र में ही उसने पेरिस…

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ईसा से 800 वर्ष पहले एशिया माइनर के मैगनीसिया नामक स्थान पर काले रंग का एक पत्थर मिला जिसमें लोहे को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण था. इस पत्थर को लोडस्टोन (Loadstone) कहा जाता है. चूंकि यह सबसे पहले मैगनोसिया में मिला था, इसलिए इसे मैगनेट (Magnet) के नाम से पुकारा जाने लगा. वास्तव में यह पत्थर लोहे का एक अयस्क (Ore) था, जिसे आज मैगनेटाइट कहते हैं. प्रयोगों से पता चला कि इस पत्थर को लोहे के बुरादे में रखने पर लोहे का बुरादा इससे चिपक जाता था. लोहे का बुरादा कहीं अधिक मात्रा में चिपकता था. तो…

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