अंतरिक्ष यान में जाने वाले व्यक्ति भारहीनता (Weightlessness) का अनुभव करते हैं. अंतरिक्ष यान में जो भी चीज बंधी हुई या जुड़ी हुई नहीं होती, वह तैरने लगती है. अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) को खाने-पीने के लिए विशेष प्रकार के उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक होता है. अंतरिक्ष यान के अंदर रहने वालों को किसी भी प्रकार की गति करते हुए (जैसे चालते-फिरते या उठते बैठते) अपनी शक्ति पर नियंत्रण रखना पड़ता है, नहीं तो वे अंतरिक्ष यान की दीवारों अथवा उपकरणों से टकरा जायें, सोते समय भी अंतरिक्ष यात्री अपने शरीर को एक ही जगह नहीं टिकाये रख पाते. इसलिए वे सोने से पहले अपने शरीर को सोने के स्थान पर लगी एक पेटी से बांध लेते हैं.
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एक व्यक्ति के शरीर का भार उसमें निहित पदार्थ की राशि के बराबर होता है. अन्य वस्तुओं की तरह मानव शरीर भी पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही भार का अनुभव करता है और पृथ्वी पर बना रहता है. लेकिन जिस समय अंतरिक्ष यान पृथ्वी का चक्कर लगाता होता है तब उसमें गुरुत्वाकर्षण बल और केंद्र से हटने के बल (केंद्रापसारी बल) में संतुलन की स्थिति आ जाती है और अंतरिक्ष यान के यात्री भारहीनता को स्थिति का अनुभव करते हैं. इसके अतिरिक्त जब कोई वस्तु या व्यक्ति स्वतंत्रतापूर्वक ऊपर से नीचे गिरता है तब भी वह भारहीनता का अनुभव करता है.
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कभी-कभी भारहीनता के कारण वमन (vomiting) और चक्कर आने लगते हैं. क्योंकि हमारे अंदरूनी कान में स्थित शारीरिक संतुलन रखने की प्रणाली गड़बड़ा जाती है. अंतरिक्ष यान के अंदर तैरते हुए कण सरलता से नीचे नहीं बैठते और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं. अंतरिक्ष यात्रियों को भारहीनता की स्थिति में रहने और भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यों को करने का प्रशिक्षण (Training) लेना पड़ता है.
गुरुत्वाकर्षण शक्ति के अभाव के कारण उत्पन्न होने वाले शारीरिक दोषों को दूर करने के लिए वहां रहने वालों को अंतरिक्ष यान में रहते हुए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक होता है. इससे उनके शरीर की मांसपेशियां अच्छी दशा में रहती हैं. वैज्ञानिकों ने निरीक्षणों से यह पता लगाया है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति से रहित स्थान में रहने पर अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर की लंबाई कुछ बढ़ जाती है. इसका कारण यह है कि रीढ़ की हड्डी के कोमल लचीले भागों के पेड्स (Pads) पर गुरुत्वाकर्षण का दबाव नहीं पड़ने से वे फैल जाते हैं. इससे लंबाई 5 सेंटीमीटर तक बढ़ है. तथापि जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर वापिस लौटते हैं तो वे अपनी पहले वाली लंबाई में आ जाते हैं. भारहीनता की स्थिति में ऐसे अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों को करना संभव होता है जो पृथ्वी पर नहीं किए जा सकते. भारहीनता की स्थिति में हर प्रकार से पूर्ण स्फटिक (Crystals) बनाया जा सकता है और उच्च रूप में समान गुणों वाली मिश्रधातुओं का निर्माण किया जा सकता है. इसी प्रकार के बहुत से कार्य हैं जो पृथ्वी पर उसको गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण करना संभव नहीं परंतु भारहीनता की स्थिति में उन्हें करना सरल होता है.
वैज्ञानिक यह पता लगाने के लिए भी प्रयोग कर रहे है कि क्या भारहीनता की स्थिति में कोई स्त्री गर्भधारण कर सकती है और यदि कर सकती है तो उसका होने वाले बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अंतरिक्ष यात्रियों पर भारहीनता से पड़ने वाले प्रभावों का बराबर अध्यययन किया जा रहा है. एक अध्ययन से पता चलता है कि भारहीनता की स्थिति में अधिक समय तक रहने से अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में कैलशियम की कमी हो जाती है.