सापेक्षिता का सिद्धांत (Theory of Relativity) से वस्तुओं की गति से संबंध रखता है. संक्षेप में यह सिद्धांत निरपेक्ष गति तथा निरपेक्ष त्वरण के अस्तित्व की असंभावना स्थापित करता है. इस सिद्धांत का प्रतिपादन 20वीं सदी के आरंभ में जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) ने किया था. इस के दो पक्ष हैं. पहले पक्ष को विशिष्ट सिद्धांत (Special Theory of Relativity) कहते हैं. यह सन् 1905 में प्रतिपादित किया गया था. दूसरे पक्ष का व्यापक सिद्धांत (General Theory of Relativity) कहते हैं. यह सन् 1915 में प्रतिपादि किया गया था. सापेक्षिता का विशिष्ट सिद्धांत वस्तुओं की गति से संबंध रखता है, तथा व्यापक सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण की समस्या पर प्रकाश डालता है.
सापेक्षिता का सिद्धांत दो धारणाओं पर आधारित है
1. प्रकाश का वेग निर्वात (Vacuum) में स्थिर रहता है, तथा यह स्रोत (Source) या निरीक्षक (Observer) के वेग पर निर्भर नहीं करता.
2. भौतिकी के नियम सभी जगह एक जैसे रहते हैं, अर्थात् भौतिकी के नियम गतिहीन और गतिशील वस्तुओं के लिए अपरिवर्तनशील हैं.
19वीं सदी के आरंभ में वैज्ञानिकों का विचार था कि प्रकाश (विद्युत चुंबकीय तरंगें) ईथर नाम के एक काल्पनिक माध्यम से गति करता है. ईथर सर्वव्यापी समझा जाता था. संपूर्ण दिशाओं तथा पिंडों में इसका अस्तित्व माना जाता था. इस स्थिर ईथर में पिंड बिना प्रतिरोध के गति कर सकते थे. इन सब गुणों के कारण गति, त्वरण बल आदि के ईथर को निरपेक्ष माना जाता था.
लोगों की धारणा थी कि प्रकाश का वेग भी ठीक उसी प्रकार मापा जा सकता है, जिस प्रकार दो गतिशील वस्तुओं का वेग एक दूसरे के सापेक्ष मापा जाता है. उदाहरण के लिए यदि दो कारें एक ही दिशा में 110 किमी तथा 80 किमी. प्रतिघंटा के वेग से जा रही हैं तो कम वेग से चलने वाली कार में बैठे व्यक्तियों को तेज कार का सापेक्ष वेग 30 किमी. प्रतिघंटा ही लगेगा. यदि दोनों कारें विपरीत दिशा में जा रही हैं, तो उनके यात्रियों को दोनों कारें 190 किमी. प्रति घंटे के वेग से चलती प्रतीत होंगी.
सन् 1887 में अमेरिका के दो वैज्ञानिकों माइकलसन तथा मोर्ले (Michelson–Morley) ने ईथर के सापेक्ष पृथ्वी का वेग मापने का प्रयास किया. वे इस वेग को मापने में सफल न हो पाए. इस प्रयोग के ऋणात्मक परिणाम प्रचलित ईथर सिद्धांत के आधार पर सिद्ध न हो सके. यह प्रयोग बहुत ही महत्वपूर्ण था.
बाद में आइंस्टीन ने इस प्रयोग के ऋणात्मक परिणामों का विवेचन किया. उन्होंने कहा कि ईथर के अस्तित्व की संकल्पना निराधार है. ईथर नाम की वस्तु का कोई अस्तित्व नहीं है. अतः परम गति की बात निरर्थक है. उन्होंने कहा कि केवल प्रकाश का वेग ही स्थिर रहता है. शेष सभी वस्तुओं की गति एक दूसरे से सापेक्ष ही होती है, परम गति का कोई अर्थ नहीं है. प्रकाश का वेग ही निरपेक्ष है तथा कोई भी वस्तु प्रकाश से तेज नहीं चल सकती.
माइकलसन तथा मोर्ले के प्रयोग के आधार पर आइंस्टीन ने स्पेशल थ्योरी आफ रिलेटिविटी (Special Theory of Relativity) को प्रतिपादित किया. इस सिद्धांत में उन्होंने यह सिद्ध कर दिखाया कि द्रव्यमान, दूरी तथा समय जैसी भौतिक राशियां, जिन्हें हर जगह स्थिर माना जाता वास्तव में स्थिर नहीं रहती. इनका मान वस्तुओं की गति के अनुसार बदलता रहता है. यदि कोई वस्तु बहुत तीव्र गति से चलती है, तो उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है, तथा इसकी लंबाई कम हो जाती है.
द्रव्यमान तथा लंबाई के ये परिवर्तन कम वेग से में दृष्टिगत नहीं हो पाते. इन परिवर्तनों का महत्व तभी पता चलता है, जब वस्तुएं लगभग प्रकाश के वेग के समान वेग से गति करती हैं. किसी सड़क पर तेज गति से चलने वाली कार का द्रव्यमान निश्चय ही बढ़ जाता है तथा लंबाई कम हो जाती है, लेकिन यह परिवर्तन इतना कम होता है कि इसे मापना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन जब कोई इलेक्ट्रोन प्रकाश के वेग के 99% वेग से गति करता है, तो इस गति की स्थिति में द्रव्यमान विश्राम अवस्था के द्रव्यमान की तुलना में 7 गुना अधिक हो जाता है.

आइंस्टीन के सिद्धांत के अनुसार कोई भी वस्तु प्रकाश के वेग को प्राप्त नहीं कर सकती. यदि कोई वस्तु प्रकाश के वेग से चलने लगेगी तो उसका द्रव्यमान अनंत हो जाएगा और लंबाई शून्य हो जाएगी. वेग के साथ द्रव्यमान में वृद्धि और लंबाई में कमी के आधार पर आइंस्टीन ने यह निष्कर्ष निकाला कि यद्यपि द्रव्यमान (m) और ऊर्जा (E) दो अलग- अलग भौतिक राशियां हैं, लेकिन फिर भी उनमें एक गहरा संबंध है. इसी आधार पर उन्होंने E=mc² के रूप में द्रव्यमान और ऊर्जा का संबंध स्थापित करने वाला समीकरण प्रतिपादित किया. इस समीकरण में c प्रकाश का वेग है. नाभिकीय ऊर्जा इसी समीकरण का परिणाम है.
आइंस्टीन के सापेक्षिता सिद्धांत का दूसरा पक्ष, जो सन् 1916 में प्रकाशित हुआ था, तथा जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (General Theory of Relativity) के नाम से प्रसिद्ध है, गुरुत्वाकर्षण की समस्या पर प्रकाश डालता है. यह वस्तुओं की त्वरित गति से संबंध रखता है. उन्होंने बताया कि गुरुत्व बल स्पेस तथा टाइम का ही गुण है. उनके अनुसार द्रव्यमान की उपस्थिति के कारण स्पेस वक्र हो जाता है. तारों तथा ग्रहों की गति इसी वक्र स्पेस में नियंत्रित होती है. स्पेस की वक्रता के कारण हो पदार्थों के चारों ओर प्रकाश की किरणें मुड़ जाती है. सूर्य और तारों के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के कारण प्रकाश की किरणें मुड़ जाती हैं. सूर्यग्रहण के समय प्रकाश की किरणों के मुड़ने का निरीक्षण किया जा चुका है.
आइंस्टीन का सिद्धांत मानव मस्तिष्क द्वारा किया गया बहुत बड़ा आविष्कार है. आइंस्टीन, न्यूटन की भांति ही बहुत प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे. अलबर्ट आइंस्टीन जन्म जर्मनी में सन् 1879 में हुआ था. बाद में वह अमेरिका चले गए और स्विट्जरलैंड में भी रहे. सन् 1955 में इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया.