आमतौर पर यह देखा गया है कि बच्चे पैदा होने के कुछ महीनों तक बहुत रोते हैं. लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, उसके रोने की अवधि कम होती जाती है और दो वर्ष के बच्चे में यह आदत प्रायः समाप्त हो जाती है. क्या आप जानते हैं कि बच्चे अधिक क्यों रोते हैं? वास्तविकता तो यह है कि धरती पर पैदा होकर बच्चे का पहला ध्वनि-संदेश रोने से ही शुरू होता है. बच्चे का रोना लगभग पशुओं की संवाद-प्रेषण जैसी वृत्ति है. बच्चा अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को शब्दों में तो व्यक्त कर सकता, अतः वह रोकर ही…
Author: Shailja Dubey
दिल के लगातार सिकुड़ने से पैदा हुई धमनियों की धड़कन को ही हम नब्ज का चलना कहते हैं. हृदय के सिकुड़ने की क्रिया के बीच एक अंतराल होता है. इस अंतराल के समय महाधमनी (Aorta) की दीवारें सिकुड़ती है. इस सिकुड़ने के दबाव से अतिरिक्त रक्त धमनियों में चला जाता है. सिकुड़ने और फैलने की यह प्रक्रिया धमनियों में एक धड़कन पैदा करती है. यही धड़कन जो शरीर के कई हिस्सों पर महसूस की जा सकती है, नब्ज कहलाती है.नब्ज कलाई में अंगूठे के ऊपर की धमनी (Artery) पर उंगलियां रखकर महससू की जा सकती है. इसे कनपटी पर हाथ…
हाथी के बाद गैंडा धरती का दूसरा सबसे विशाल जीव है. गैंडे को अंग्रेजी में राइनोसेरॉस (Rhinoceros) कहते हैं. इस नाम की उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई है. ‘रिहनों’ का अर्थ ग्रीक में होता है नाक और सींग, अर्थात् सींगयुक्त. इस जानवर की लंबी नाक पर एक या दों सींग होते हैं. ये सींग उम्र भर बढ़ते रहते हैं. गैंडा अंगुलेट्स के ऑडटोड (oddtoed) समूह का सदस्य है. गैंडे का शरीर बहुत भारी होता है, पर टांगें छोटी, लेकिन मजबूत होती हैं. इसके हर पैर में तीन उंगलियां होती हैं और हर उंगली का अलग खुर होता है. आगे के…
कृत्रिम तरीकों से सिर की सुरक्षा प्राचीन काल से ही बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती रही है. युद्ध में सिपाही सिर की सुरक्षा के लिए विशेष हैलमेट (Helmet) का प्रयोग करते हैं. स्कूटर चलाते हुए भी सवार संभावित चोट से बचने के लिए हैलमेट पहनते अनेक शहरों में सरकार ने हैलमेट पहनने के नियम को कानून बना दिया है. क्या तुम जानते हो कि सिर की सुरक्षा इतनी आवश्यक क्यों है? मस्तिष्क शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जो हड्डियों के एक खोल में सिर में सुरक्षित रहता है. मानव मस्तिष्क तीन भागों में बंटा होता है-1. प्रमस्तिष्क (Cerebrum) 2. अनुमस्तिष्क…
हृदय शरीर का एक बहुत हो महत्वपूर्ण अंग है. यह पूरे शरीर में खून पहुंचाता है. जब इसका बायां निलय (Ventricle) सिकुड़ता है, तो रक्त इससे धमनियों में जाना शुरू करता है. रक्त के दबाव के कारण धमनियां फैल जाती हैं. इन धमनियों के आंतरिक आवरण में पेशियां होती हैं, जो इस दबाव को रोकती हैं. इस तरह रक्त इनमें से दबकर छोटी नाड़ियों में जाता है. रक्त द्वारा धमनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को ही रक्त-चाप या ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कहते हैं. रक्त-दाब की मात्रा हृदय की शक्ति, प्रणाली में रक्त की मात्रा और धमनियों की…
अन्य मशीनों की तरह शरीर को भी काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है. यह ऊर्जा उपापचय (Metabolism) के माध्यम से भोज्य पदार्थों द्वारा प्राप्त होती है. उदाहरण के लिए, यदि हम एक टुकड़ा रोटी का, या आलू का अथवा किसी अन्य भोजन का खाते हैं, तो इसके अंदर विद्यमान स्टार्च शर्करा (Sugar) में बदलकर रक्त मिल जाता है. सांस द्वारा ली गई वायु में मिश्रित रक्त में पहुंचकर इसके साथ जलती है जिससे ऊर्जा पैदा होती है, इससे हमारे शरीर को शक्ति प्राप्त होती है. इसी तरह की अन्य रासायनिक क्रियाएं हमारे शरीर में ये रूपांतरण करती…
शरीर विज्ञान चिकित्सा द्वारा ऐसे अनेक रोगों को दूर करने में सफलता मिली है जो दवाओं या ऑपोशन से ठीक नहीं हो सके थे शरीर विज्ञान चिकित्सा (physiology) आयुर्विज्ञान की वह शाखा है, जो किसी बीमारी या चोट को ठीक करने के लिए किसी प्राकृतिक उपकरण या व्यायाम का उपयोग करती है. इसे फिजिकल थैरेपी या फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) भी कहते हैं. एक तरह से इस पद्धति में शरीर की कमी को पूरा किया जाता है. इस चिकित्सा पद्धति को फिजियाट्रिक्स (Physiatrics) कहते हैं. इस पद्धति के अनुसार इलाज करने वाले डॉक्टर को फिजिकल धेरैपिस्ट (Phyisical Therapist) या फिजियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist) कहते…
शरीर के अंगों का वह समूह जो रक्त-संचार को व्यवस्थित करता है, रक्त संचार संस्थान कहलाता है. शरीर के प्रत्येक हिस्से तक भोजन और आक्सीजन पहुंचाने और फालतू पदार्थों को हटाने के लिए रक्त का पहुंचना बहुत आवश्यक है. मनुष्य में रक्त-संचार- व्यवस्था के संचालन के लिए मांसपेशी से बना एक पंप होता है, जिसे हृदय कहते हैं. यह कुछ नलिकाओं द्वारा समस्त शरीर में रक्त पहुंचाता है. ये नलिकाएं शरीर के प्रत्येक कोष्ठक तक रक्त को पहुंचा देती हैं.रक्त-संचार प्रणाली में पांच प्रकार की नलिकाएं होती हैं. धमनी (Artery), धमनिका (Areterioles), केशिका (Capillary), शिरा (Venule) और महाशिरा (Vena cava).…
केवल 3% लोग ही दोनों आंखों का इस्तेमाल करते हैं, अधिकतर लोगों की दायीं आंख बायीं आंख की अपेक्षा अधिक समर्थ होती है हम लोग ‘दायां हत्था’ (Right-Handed) और ‘बायां-हत्या’ (Left-Handed) के अर्थ से तो भलीभांति परिचित हैं, लेकिन हम में से बहुत कम लोग दक्षिण-दृष्टि (Right-Sight) और वाम-दृष्टि (Left-Sight) का अर्थ जानते हैं. अर्थात् हम कभी अपने दोनों नेत्रों का उपयोग समान रूप से नहीं करते. एक आंख दूसरी से ज्यादा सक्रिय या समर्थ होती है. विभिन्न अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ कि मनुष्य देखने में 65 प्रतिशत इस्तेमाल अपनी दायीं आंख का करता है, 32 प्रतिशत बार्थी आंख…
कठफोड़वा (Woodpeckers) पिसिडी (Picidae) परिवार की एक चिड़िया है. ये पेड़ों के तनों की छाल में अपनी लंबी पैनी चोंच से सूराख करते रहते हैं. इसलिए इन पक्षियों को कठफोड़वा अर्थात लकड़ी को फोड़ने या उसमें छेद करने वाला कहते हैं. इसकी चोंच छैनी जैसी पैनी और मजबूत होती है जो कैसे भी मजबूत या पुराने पेड़ के तने में छेद कर सकती है. इसके सिर और गरदन की बनावट ऐसी होती है जिससे यह अपनी चोंच पेड़ के तने की छाल में पूरी ताकत से मार सकता है और उससे पैदा होने वाले धक्के को सहन कर सकता है.…