भोपाल। शिवराज सिंह चौहान के जीरो टॉलरेंस का ही एक उदाहरण है पोषण आहार घोटाला। जिस अफसर ललित मोहन बेलवाल को इस मामले में मुख्य आरोपी माना जा रहा है, उसे चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस ने रिटायरमेंट के बाद फिर से आजीविका मिशन में ही नियुक्ति दिलवा दी। यही नहीं एक महिला अफसर भी इस घोटाले शामिल रही है, ये भी सीएस की खास है।
कहानी इस तरह है, मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस के सबसे खास मित्र और आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भारतीय वन सेवा के ललित मोहन बेलवाल (PCCF रैंक) द्वारा नियमों को ताक पर रखकर आजीविका मिशन में करोड़ों रुपए के वित्तीय अनियमितताएं की गईं। जांच उपरांत बेलवाल के ऊपर 10 तरह की आपराधिक धाराओं में आगे कार्रवाई प्रस्तावित की गई, लेकिन डेढ़ साल से कार्रवाई नहीं हुई। सीएस ने पूरे मामले को दबा दिया है। और जांच करने वाली अफसर नेहा मरव्या को हाशिए पर भेज दिया गया।
आज कांग्रेस मीडिया विभाग के मुखिया केके मिश्रा ने एक फोटो शेयर किया है। इसमें सीएस इकबाल सिंह बैस के सामने बेलवाल के अलावा बैठी हैं विवादों में रहने वाली सुषमा शुक्ला नाम की आजीविका मिशन में पदस्थ राज्य परियोजना प्रबंधक संविदा अधिकारी, जिसकी राज्य स्तर पर भर्ती ललित मोहन बेलबाल द्वारा फर्जी दस्तावेजों तैयार कर की गई है और इनका भी दोष सिद्ध हो चुका है। आरोप है कि यह महिला फर्जी दस्तावेज तैयार करने में माहिर है और इन्होंने कई विभागों में नौकरी की है।
केके मिश्रा कहते हैं, अब आप समझ जाइए कि मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी ने मध्यप्रदेश में किस तरह का प्रशासनिक तंत्र खड़ा किया है? यही कारण है कि मप्र में किसी की हिम्मत नहीं जो दागी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ले। इनके खिलाफ जांच करने वाली आईएएस अफसर नेहा मारव्या का क्या हाल किया गया है, यह किसी से छुपा नहीं है।