पक्षी वैज्ञानिकों का मत है कि पक्षियों की सुनने की क्षमता लगभग मनुष्यों समान होती है. लेकिन इनकी सुनने की शक्ति कुछ कमजोर होती है. क्या आप जानते हो कि पक्षी किस तरह सुनते हैं?
सुनने के लिए पक्षियों के पास भी कान होते हैं. ये कान कई बातों में रेंगने वाले जंतुओं के समान होते हैं. कान के बाहरी हिस्से में एक पतली नाली होती है, जो कनपटी के पंखों में छुपी रहती है. अधिकांश पक्षियों की इस नाली के चारों तरफ की खाल में एक मांसपेशी ऐसी होती है, जो इस नाली के मुंह को पूरी तरह या आंशिक रूप से बंद कर सकती है. कान के परदे की झिल्ली बाहर की ओर निकली रहती है. इस झिल्ली की अंदर की सतह पर एक स्पर्शी तंत्रिका होती है, जो कर्णावर्त तक ध्वनियों स्थानांतरित करती है. इस तंत्रिका में कुछ अस्थिमय पदार्थ, कर्ण दंडिका और एक कार्टिलेज की बनी वर्ण होती है, जो कर्णदंडिका को करके कान के परदे की झिल्ली से जोड़ देती है.
मनुष्यों की सुनने की क्षमता Hz. से 20,000 Hz. तक होती है. लेकिन प्रयोगों से यह ज्ञात हुआ है कि अधिकतर पक्षियों की श्रवण क्षमता 100 से 12,800
Hz. तक की आवृत्ति के लिए होती है. पक्षियों में एक और क्षमता होती है, जो आवाजें आदमी के कान को निरंतरता में सुनाई देती हैं, पक्षी अलग-अलग करके सुन सकते हैं.
पक्षी अपनी इस क्षमता का उपयोग शत्रुओं और अन्य प्रकार के खतरों से आत्मरक्षा के लिए करते हैं. कुछ पक्षी अपने साथी या टोली के सदस्य को पुकारने के लिए कुछ आवाजें पैदा करते हैं. यह एक जाना-माना तथ्य है कि कई प्रकार के उल्लू अपने शिकार को आवाजों से पहचानते और पकड़ते हैं.
चिड़िया एव्स (Aves) वर्ग के ऊष्ण रक्त जीव है. अन्य सभी स्तनपायी जंतुओं की तरह ये भी रीढ़दार जंतु हैं. स्तनपायी जंतुओं से चिड़िया केवल एक बात से भिन्न होती हैं कि वे अंडा देती हैं, बच्चा नहीं जनतीं. चिड़ियों के पंख, पर और चोंच होती हैं, जिनसे ये और जंतुओं से एकदम भिन्न लगती हैं.
चिड़ियों के दांत नहीं होते, इनकी चोंच होती है, जिससे ये भोजन इकट्ठा करती हैं. इनका मुख्य भोजन कीड़े-मकोड़े, अनाज के दाने और पशु-मांस होता है. इनकी दृष्टि पूर्ण विकसित और तेज होती है.
चिड़ियों की लगभग 9000 किस्में पाई जाती हैं. इनका आकार 5 सेमी. से लेकर 2.5 मीटर तक होता है. गाने वाली छोटी चिड़िया का आकार बहुत छोटा होता है, जबकि शुतुरमुर्ग का आकार सबसे बड़ा होता है. शुतुरमुर्ग का भार 136 किग्रा. तक होता है.