राजस्थान की भौगोलिक स्थिति
प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान, उत्तर में पंजाब, उत्तर-पूर्व में हरियाणा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश एवं गुजरात है। राज्य का अधिकांश भाग मरुस्थलीय है। यहां थार का रेगिस्तान है। वर्षा की मात्रा व समय निश्चित नहीं है।
राज्य को सूखे का सामना करना पड़ता है। गर्मी में तापमान 40 से 50 डिग्री सेल्सियस एवं सर्दी में कई स्थानों पर शून्य डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंच जाता है।
राजस्थान में रेगिस्तान के अलावा मैदान एवं पर्वत श्रृंखला भी हैं। ऐसा माना जाता है कि राज्य विश्व के प्राचीन भूखण्डों [1] अंगारा लैण्ड, [2] गोंडवाना लैण्ड में विभाजित था। इन भूखण्डों के बीच टेथिस महासागर था। प्रदेश का अधिकतर पश्चिमी एवं उत्तरी-पूर्वी भाग टेथिस महासागर का ही अवशेष है। राज्य 23°3′ उत्तर अक्षांश से 30°12′ उत्तरी अक्षांश एवं 69°30′ पूर्वी देशान्तर से 78°17′ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। राज्य को धरातल एवं जलवायु के आधार पर मुख्यतः चार भागों में विभाजित कर सकते हैं [1] उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश, [2] अरावली श्रेणी एवं पहाड़ी प्रदेश, [3] पूर्वी मैदान, [4] दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश, [हाडोती पठार]। प्रदेश में बेड़च, बनास, गम्भीरी, कोठारी, चम्बल, पार्वती, बाणगंगा, काली सिन्ध, खारी, माही, लूणी, घग्गर प्रमुख नदियां है। प्रमुख झीलों में डीडवाना, सांभर झील, पंचभद्रा, लूणकरणसर, जयसमंद, राजसमंद, पिछोला, पुष्कर, आनासागर, नक्की एवं सिलीसेढ़ हैं। यहां गुरु शिखर [माउंट आबू], से [माउंट आबू), अचलगढ़ (सिरोही], तारागढ़ [अजमेर) प्रमुख पर्वत रोटियां हैं। यहां अरावली पर्वत श्रृंखला भी है।
राजस्थान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
स्वतंत्रता से पूर्व यह क्षेत्र राजपूताना कहलाता था। कई सदियों तक इस सम्पूर्ण क्षेत्र पर राजपूतों ने शासन किया। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहां की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी। बारहवीं शताब्दी तक यहां चौहान एवं अन्य राजपूतों का प्रभुत्व स्थापित हो गया था। इसके बाद यहां गहलोतों का शासन रहा।
मेवाड़ के नरेश राणा प्रताप ने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और जीवन भर संघर्ष करते रहे। मेवाड़ से जुड़ी भक्त शिरोमणी मीरा, पन्नाधाय और भामाशाह का इतिहास में अलग ही स्थान है। सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर बसाया, जो विश्व के तीन सुन्दरतम नगरों में से एक है। सभी रियासतों ने 1818 में ब्रिटिश संधि स्वीकार कर ली। इसमें राजाओं के हितों की रक्षा की गई। 1935 में ब्रिटिश भारत में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के बाद राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता एवं अधिकारों के लिए आंदोलन तेज हो गए। बिखरी हुई रियासतों को मिलाकर 1948 में मत्स्य संघ बनाया गया, बाद में बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर को मिलाकर वृहद् राजस्थान बनाया गया। 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत इसमें अजमेर, मुम्बई का आबू तालुका एवं मध्य भारत के सुनेल टप्पा को मिलाकर एवं सिरज प्रमण्डल को छोड़कर 1 नवम्बर, 1956 को वर्तमान राजस्थान का निर्माण किया गया।
यहां की आर्थिक स्थिति
राज्य की करीब 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। राज्य सरकार की आय का लगभग 52 प्रतिशत भाग कृषि क्षेत्र से प्राप्त होता है। प्रदेश में रेतीली, बलुई, भूरी, कछारी मिट्टी पाई जाती है। यहां गेहूं, ज्वार, मक्का, दालें, बाजरा, चना, कपास, तिलहन, तम्बाकू, लाल मिर्च, मेथी, सरसों, खट्टे फल, सब्जियां, दालें, संतरा उत्पादित होते मैं। भारत का 30 प्रतिशत भाजपा प्रदेश से ही उत्पादित किया जाता है। राज्य का गेहूं उत्पादन में पांचवा स्थान है। सूती वस्त्र, चीनी, उर्वरक, ऑक्सीजन और ऐसीटिलीन इकाइयां, रेल डिब्बे, सीसा, इलेक्ट्रिक मीटर, रत्नमणि सहित अन्य उद्योग एवं टी.वी. सेट, धागे, घड़ियां, वाहनों के पुर्जे, सीमेंट के कारखाने हैं। प्रदेश में नमक, लाल पत्थर, संगमरमर, चट्टानी फास्फेट, चादी, जस्ता, सीसा, एस्बेस्टस, फेल्सपार खनिज पाए जाते हैं।
राज्य का परिवहन
राजस्थान में सड़कों की लम्बाई 1,28,350 किमी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 3,401 किमी. है। रेलवे लाइन की कुल लम्बाई 5,784 किमी. है। जिसमें ब्रॉडगेज 4,602 किमी. मीटर गेज 1,094 किमी. और नैरोगेज 86 किमी.। यहां मुख्य रेलवे स्टेशन जयपुर, जोधपुर, अजमेर, मारवाड़ जंक्शन, कोटा, अलवर, सवाईमाधोपुर, बीकानेर, चित्तौड़ एवं उदयपुर हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर व कोटा में हवाई अड्डे हैं।
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राजस्थान के त्योहार
रंग-रंगीला राजस्थान मेलों और उत्सवों की धरती है। यहां पर होली, दीपावली, विजयादशमी, क्रिसमस जैसे प्रमुख राष्ट्रीय त्योहारों के अलावा अनेक देवी-देवताओं, संतो और लोकनायकों तथा नायिकाओं के जन्मदिन मनाए जाते है। यहां के महत्वपूर्ण मेले हैं- तीज, गणगौर(जयपुर), अजमेर शरीफ और गलियाकोट के वार्षिक उर्स, बेणेश्वर (डूंगरपुर) का जनजातीय कुभ, श्री महावीर जी (सवाई माधोपुर), रामदेवरा (जैसलमेर), जंभेश्वर जी मेला (मुकाम-बीकानेर), श्याम जी मेला (सीकर) और पशु-मेला (पुष्कर-अजमेर) आदि। हेला-ख्याल, घूमर, तेरहताली, पणिहारी, भवई, चरी, कच्छी घोड़ी लोक नृत्य प्रमुख हैं।
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राजस्थान के पर्यटन स्थल
जयपुर
गुलाबी नगरी ऐतिहासिक शहर है। 18 नवम्बर 1727 में राजा जयसिंह ने इसकी स्थापना की। उन्होंने इसे आयताकार क्षेत्र में बसाने का फैसला किया। जयपुर को नौ छोटी-छोटी लड़कियों में बांटा गया। राजपूत और मुगल शैली के स्थापत्य का मिलाजुला रूप पूरे शहर में नजर आता है।
रामनिवास बाग– 1886 में राजा रामसिंह द्वितीय ने बनवाया। इसमें हरा-भरा बगीचा, चिड़ियाघर, जंतुआलय आदि स्थित हैं। बाग के अंदर ही म्यूजियम स्थित है। सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए बाद में यहां रवीन्द्र मंच की स्थापना की गई।
हवामहल– 1799 में हवामहल का निर्माण हुआ। यह जयपुर ही नहीं पूरे राजस्थान का प्रतीक चिन्ह है। अनगिनत झरोखों की यह पांच मंजिला, जालीदार गुलाबी इमारत महल में रहने वाली महिलाओं के लिए बनाई गई थी।
जंतर मंतर– महान खगोलशास्त्री जयसिंह ने देश में पांच वेधशालाओं का निर्माण करवाया। जयपुर की यह वेधशाला सबसे बड़ी है। इसके अलावा यह दिल्ली, मथुरा, उज्जैन और वाराणसी में हैं। यहां सूर्य व चंद्र ग्रहण, तारे, उपग्रह और नक्षत्रों के अध्ययन के उपकरण मौजूद हैं।
सिटी पैलेस– परकोटे के भीतर स्थित सिटी पैलेस भव्य महल है। इसके मध्य भाग में सात मंजिला चंद्रमहल अत्यंत खूबसूरत है। पुलिस का संग्रहालय अद्भुत है। यहां चांदी के दो बड़े कलश रखे हैं, जिन्हें युद्ध के दौरान पीने के पानी भरने के लिए ले जाया जाता था। इन्हें गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया गया है। नाहरगढ़ का किला- यहां से रात में जयपुर शहर का दृश्य अत्यंत आकर्षक लगता है।
जयगढ़ का किला– इस किले में महल, बगीचे, शस्त्रागार और भारत की सबसे बड़ी तोप जयबाण रखी हुई है। अन्य घूमने फिरने की जगहों में सिसोदिया गार्डन, जल महल, कनक वृंदावन, रोज गार्डन, बिड़ला मंदिर, गैटोर की छतरियां आदि प्रसिद्ध हैं।
अजमेर
अजमेर में धार्मिक स्थल हैं तो ऐतिहासिक स्थल भी हैं। चौंकाने वाली स्थापत्य व शिल्प कला है।
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह– तारागढ़ की तलहटियों में स्थित यह दरगाह भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां दुनियाभर से बड़ी-बड़ी हस्तियां दरगाह पर चादर चढ़ाने आती हैं।
आनासागर– का निर्माण अर्णोराज ने करवाया। उसने आक्रमणकारियों को यहीं परास्त कर इस स्थान पर झील का निर्माण करवाया। बाद में जहांगीर ने झील के किनारे शाही बाग व शाहजहां ने संगमरमर की पांच बारहदरियां बनवा कर इसे और खूबसूरत बनाया।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा– यह दरगाह के पीछे स्थित है। कहा जाता है कि एक संस्कृत पाठशाला व जैन मंदिर को तोड़कर इस झोपड़े का निर्माण करवाया गया। इसका निर्माण मात्र अढ़ाई दिन में हुआ। यहां बनी दीर्घाओं में मंदिरों के अवशेष व खंडित जैन मूर्तियां रखी हुई हैं।
तारागढ़ दुर्ग– का सामरिक व राजनीतिक दृष्टि से उपयुक्त जगह पर है। पहाड़ी पर बने वाला संभवतः यह भारत का पहला किला है। अन्य दर्शनीय स्थानों में फाय सागर, दाहरसेन स्मारक, लव कुश उद्यान, सोनीजी की नसिया, राजपूताना संग्रहालय आदि हैं।
जोधपुर
सूर्यनगरी के नाम से जाना जाने वाला यह शहर मरुस्थल के मुहाने पर है। लोकगीतों में इसे जोधाणा कहा गया है। पहले यह शहर मारवाड रियासत की राजधानी भी रहा।
उम्मेद भवन-इसका निर्माण महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया। इसमें स्थानीय बलुई पत्थर का उपयोग किया गया है। इस सुंदर महल के एक भाग में शाही निवास व होटल है।
उम्मेद उद्यान– इस उद्यान में राजकीय संग्रहालय, पुस्तकालय एवं चिड़ियाघर स्थित है।
मेहरानगढ़ किला– ऊंची पहाड़ी पर बना यह किला जोधपुर की शान है। यह किला वैभव, शक्ति, साहस, त्याग व स्थापत्य का अनूठा नमूना है। यहां संग्रहालय स्थित है। इसमें राजसी पोशाक, अस्त्र-शस्त्र, तोप, जसवंत थड़ा- सफेद संगमरमर की यह इमारत बहुत ही खूबसूरत है। इसके भीतर राठौड़ नरेशों के आकर्षक चित्र लगे हुए हैं। स्मारक के एक ओर देवकुंड व दूसरी ओर आकर्षक छतरियां बनी हुई है।
मंडोर– यहां का गार्डन दर्शनीय है। यहां पिकनिक का आनंद उठाया जा सकता है।
कायलाना झील– वर्षा ऋतु में इस का स्वरूप निखर आता है। इसके अलावा दर्शनीय स्थलों में ओसियां बालसमंद झील आदि मुख्य हैं।
माउंट आबू
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह एक रमणीक पर्यटन स्थल है। अरावली पर्वत श्रेणियों में स्थित अपने सुहावने मौसम के लिए देश-विदेश के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है।
दिलवाड़ा के जैन मंदिर– विमल शाह द्वारा बनवाए गए इन जैन मंदिरों में सुंदर कलाकृतियां व बेजोड़ शिल्पकला के दर्शन होते हैं। ये अति सूक्ष्म तरीके से काटे और तराशे गए हैं।
सनसेट प्वाइंट– यह स्थल सूर्यास्त के समय खूबसूरत दिखाई देता है। हनीमून प्वाइंट-प्राकृतिक रूप से यहां दो चट्टानें पास-पास हैं। यह नवविवाहिताओं के लिए कौतुहल उत्पन्न करता है। यहां से आबू की पहाड़ियों के प्राकृतिक दृश्य का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
टॉड रॉक व नन रॉक– यह चट्टान मेंढक के आकार की हैं। यहां से मनोरम दृश्य देखकर मन पुलकित हो उठता है।
नक्की झील– हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित माउंट आबू का प्रमुख आकर्षण है। झील के किनारे कतारबद्ध खजूर के वृक्ष यहां के दृश्य को खूबसूरत बनाते हैं। नौकाविहार और पिकनिक मनाने के लिए यह स्थान उपयुक्त है।
अन्य पर्यटन स्थल
प्रदेश में रणथम्भौर, जूनागढ़, आमेर, चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक किले, विलास भवन [अलवर], पद्मिनी महल [चित्तौड़गढ़), जलमहल, पुष्कर, नाथद्वारा, दिलवाड़ा के मंदिर, नाडोल मंदिर, एकलिंग जी का मंदिर कैला देवी मंदिर, अकबरी मस्जिद, भरतपुर पक्षी विहार, रणथम्भौर, केवलादेव, सरिस्का राष्ट्रीय पार्क हैं। राज्य में मेवाड़ शैली, मारवाड़ी, बीकानेरी, बूंदी, किशनगढ़, अलवर एवं नाथद्वारा शैली चित्रकला की मुख्य शैलियां हैं। पूर्व का पेरिस एवं वेनिस के नाम से जयपुर प्रसिद्ध है। इसी प्रकार राजस्थान का गौरव चित्तौड़गढ़, पहाड़ों की नगरी- डूंगरपुर, राजस्थान का प्रवेश द्वार- भरतपुर, प्रदेश का हृदय- अजमेर, जल महलों की नगरी-डीग व झीलों की नगरी उदयपुर प्रसिद्ध हैं।