भोपाल। मध्य प्रदेश में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगाने की साजिश की जा रही है। नियम कानून ताक में रखते हुए एक एमबीए डिग्री धारी को पैरा मेडिकल काउंसिल का डिप्टी रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया गया और अब उसे रजिस्ट्रार पद पर प्रमोशन देने की कोशिश की जा रही है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने देश में एलाइड हेल्थ काउंसिल बना कर पैरा मेडिकल में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने का प्रयास किया है।
असल में प्रदेश में डिप्लोमा और डिग्री के संचालित पैरामेडिकल संस्थानों को मान्यता देने, रजिस्ट्रेशन, फर्जीवाड़े को रोकने, क्वालिटी युक्त शिक्षा देने और अस्पतालों में मरीजों की सेवा के लिए योग्य एवं प्रशिक्षित टेक्नीशियन उपलब्ध करवाने के लिए स्टेट एलाइड एंड हैल्थ केयर काउंसिल का गठन किया जाना है। केन्द्र सरकार द्वारा मार्च-2021 में नेशनल कमिशन फॉर एलाइड एंड हैल्थकेयर प्रोफेशनल एक्ट पास हो चुका है। एक्ट की धारा 22 (1) के अनुसार राज्य सरकार के स्तर पर स्टेट एलाइड एंड हैल्थ केयर काउंसिल का गठन होना है। प्रदेश में मेडिकल, डेंटल, फार्मेसी और नर्सिंग की तरह ही पैरामेडिकल कोर्स वालों का पंजीयन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए नेशनल कमिशन फॉर एलाइड एंड हैल्थकेयर प्रोफेशनल एक्ट-2021 बनाया गया है। इसके आधार पर सभी राज्यों को स्टेट एलाइड एंड हैल्थकेयर काउंसिल गठित करनी है।
सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में स्टेट एलाइड एंड हैल्थ केयर काउंसिल के गठन के तहत तत्कालीन मंत्री ने अपने खास व्यक्ति को सीधी नियुक्ति दिलाई और डिप्टी रजिस्ट्रार बनवा दिया। ये व्यक्ति एमबीए डिग्री धारी है और इसके पास पैरा मेडिकल क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है। न ही कोई डिग्री या डिप्लोमा है। कल होने वाली कैबिनेट में स्टेट एलाइड एंड हैल्थ केयर काउंसिल के गठन का मुद्दा लाया जा रहा है। इसमें इस अयोग्य डिप्टी रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रार पद पर प्रमोशन दिए जाने के प्रयास किए जा सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि अब चूंकि विभाग के मंत्री बदल चुके हैं, इसलिए उन्हें सही जानकारी नहीं देते हुए भ्रमित किया जा रहा है।