इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सूबे के वर्तमान व पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज लंबित प्रकरणों की त्वरित सुनवाई पर सरकार से जवाब मांगा है. इन मामलों में सुनवाई त्वरित गति से किए जाने संबंध में सरकार को जवाब के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी है।
मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सरकार के उस निवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें दिशा-निर्देश प्राप्त करने मोहलत मांगी गई थी. फिलहाल ऐसे 192 प्रकरण लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट में की गई थी याचिका दायर
वर्तमान व पूर्व सांसदों व विधायकों के विरुद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरण की सुनवाई स्पेशल कोर्ट द्वारा त्वरित गति से किए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से प्रदेशों में सुनवाई के लिए गठित स्पेशल कोर्टों की जानकारी पेश की गई थी।
लंबे समय से है लंबित
सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया था कि आपराधिक मामलों में दंडित कई वर्तमान व पूर्व सांसद व विधायकों ने स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया है. स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद प्रकरण लंबे समय से लंबित है. याचिका का पटाक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि वर्तमान व पूर्व सांसद व विधायकों के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट त्वरित गति से करें।
मामले में सुनवाई जारी है
इसके अलावा दंडादेश के विरुद्ध स्थगन आदेश संबंधी मामलों पर भी सुनवाई त्वरित गति से की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश की प्रति सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को जारी करने के आदेश भी जारी किए थे. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में संज्ञान याचिका के तौर पर मामले में सुनवाई जारी है।
अभी भी 192 प्रकरण लंबित
याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि मध्य प्रदेश में स्पेशल कोर्ट में वर्तमान व पूर्व सांसद और विधायकों के विरुद्ध 192 प्रकरण लंबित हैं. अधिकतर प्रकरण साक्ष्य व अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित हैं. हाई कोर्ट ने सजा से दंडित प्रकरण में प्राप्त स्थगन आदेश पर त्वरित सुनवाई के लिए सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने आदेश जारी किए थे.