यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC CSE) क्रैक करने के लिए फोकस, खूब सारा धैर्य और कठिन मेहनत की जरूरत होती है. तीन स्तर का यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने वालों की आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसे पदों पर नियुक्तियां होती हैं. यह एग्जाम क्लीयर करना लाखों युवाओं का सपना होता है. लेकिन यूपीएससी एग्जाम के जरिए हर साल करीब 1000 पदों पर ही भर्ती होती है. हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसे मिडिल क्लास लड़के के संघर्ष की कहानी, जो पहले इंजीनियर बना, फिर एक्साइज इंस्पेक्टर और आखिरकार यूपीएससी क्लीयर करके उसने अपनी मंजिल हासिल की।
आईएएस अधिकारी अंशुल कुमार उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं. हालांकि वह पले-बढ़े गाजियाबाद में हैं. मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNNIT), प्रयागराज से बीटेक करने वाले अंशुल को शुरुआत में उनके पिता ने यूपीएससी की तैयारी करने को प्रेरित किया. श्रम विभाग, गाजियाबाद में कर्मचारी पिता चाहते थे कि बेटा अफसर बने।
बीटेक करने के बाद अंशुल यूपीएससी एग्जाम क्लीयर करके आईएएस बनना चाहते थे. लेकिन वह और भी परीक्षाएं दे रहे थे. इसी कोशिश के दौरान वह 2014 में एसएससी एग्जाम क्लीयर करके एक्साइज इंस्पेक्टर बन गए. हालांकि वह इसी नौकरी से संतुष्ट नहीं हो गए. अंशुल लगातार तैयारी करते रहे।
अंशुल कुमार ने 2015 में एक बार फिर से यूपीएससी एग्जाम दिया. इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और किस्मत ने भी साथ दिया. वह यूपीएससी एग्जाम में ऑल इंडिया 293वीं रैंक हासिल करके आईएएस बन गए. इसी साल उनका सेलेक्शन इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में भी हो गया. आईएफएस में उनकी 97वीं रैंक थी. आईएएस अंशुल कुमार बिहार कैडर के आईएएस अफसर हैं. वर्तमान में वह बिहार के बांका जिले के कलेक्टर हैं।