नई दिल्ली। नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) ने अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) से जुड़े फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। अथॉरिटी ने गड़बड़ी के आरोप में दो चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को पांच से दस साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही उन पर और एक ऑडिट फर्म पर तीन करोड़ रुपये तक का फाइन भी लगाया है। आरबीआई ने 29 नवंबर, 2021 को भुगतान में चूक और गवर्नेंस से जुड़ी गंभीर समस्याओं के कारण रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को भंग कर दिया था और नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया था।
रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। सितंबर, 2021 में रिलायंस कैपिटल ने अपने शेयरहोल्डर्स को बताया था कि कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएफआरए ने 12 अप्रैल के अपने एक आदेश में कहा कि ऑडिट फर्म पाठक, एच.डी. एंड एसोसिएट्स पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही इंगेजमेंट पार्टनर (EP) सीए परिमल कुमार झा पर एक करोड़ रुपये और इंगेजमेंट क्वालिटी कंट्रोल रिव्यू पार्टनर सीए (EQCR) विशाल डी शाह पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। EP को 10 साल और EQCR को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है।
इस दौरान ये किसी कंपनी में ऑडिटर या इंटरनल ऑडिटर का काम नहीं कर सकते हैं। साथ ही किसी कंपनी के फाइनेंशियल एक्टिविटी में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। ऑर्डर में कहा गया है कि रिलायंस कैपिटल पर फाइनेंशियल ईयर 2019 में बैंकों का करीब 12,000 करोड़ रुपये का लोन था। साथ ही एक्टरनल डेट के रूप में कंपनी पर 32,000 करोड़ रुपये का बकाया था।
हिंदूजा के छूट रहे पसीने
आरबीआई ने रिलायंस कैपिटल के खिलाफ आईबीसी के तहत इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग की कार्यवाही शुरू की थी। हिंदूजा ग्रुप (Hinduja Group) ने इसे खरीदने के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई है लेकिन कंपनी को फंड जुटाना मुश्किल हो रहा है। ग्रुप ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था जिसे कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने पिछले साल जुलाई में मंजूरी दी थी। दिसंबर ने कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने रिलायंस कैपिटल में हिस्सा खरीदने के आईआईएचएल, आईआईएचएल बीएफएसआई (इंडिया) और Aasia Enterprises LLP की योजना को हरी झंडी दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स का मुताबिक हिंदूजा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी इंडसइंड इंटरनेशल होल्डिंग्स (IIHL) इस डील के लिए कुल 8,000 करोड़ रुपये उधार लेने की तैयारी में है। लेकिन उसे प्राइस से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि क्रेडिट फंड्स ज्यादा रेट मांग रहे हैं।