भोपाल। बिना टेंडर के काम न करने का दावा करने वाली बीएचईएल जैसी महारत्न कंपनी कर्मचारियों को करीब पौन करोड की राशि का मिठाई बांटने का टेंडर ही नहीं करती हैं वह भी एक यूनियन के दबाव में। मजेदार बात यह भी है कि इसका विरोध कर रही कुछ प्रतिनिधि यूनियनों का क्या शुभ—लाभ हुआ कि उन्होंने इस विषय पर बोलना ही बंद कर दिया। गंदी राजनीति का शिकार व यूनियनों के भीतर ही भीतर समझौता करने वाले कुछ अफसर न केवल अपना लाभ शुभ कमा रहे हैं बल्कि महारत्न जैसी कंपनी के नियमों की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही कंपनी को बचाने के बजाय कई कर्मचारी नेता मिठाई—नमकीन में ही अपने वोट कबाड रहे हैं। वह भी वह नेता हैं जो रिटायर्ड होकर प्रतिनिधि यूनियन के आंका बने हुए हैं जिन्हें कंपनी और कर्मचारियों की चिंता कम अपना शुभ लाभ ज्यादा दिख रहा है। प्रबंधन कुछ रिटायर नेताओं के दबाव में बिना टेंडर पौन करोड की मिठाई खरीद रही हैं जबकि किसी और का मामला होता विजिलेंस जांच शुरू हो जाती।
नगर निगम की मिठाई
इसके पहले भोपाल नगर निगम में ढाई करोड़ की मिठाई चर्चाओं में रही थी। भोपाल नगर निगम में जब परिषद अस्तित्व में नहीं थी, उस समय अधिकारी एक साल में ढाई करोड़ की मिठाई खा गए। और मजे की बात ये रही की उस समय कोरोना काल चल रहा था। ये पूरी मिठाई एक ही दुकान से खरीदी गई। इसका मामला उठा, leki फिलहाल फाइलों में दबा हुआ है।