कृत्रिम तरीकों से सिर की सुरक्षा प्राचीन काल से ही बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती रही है. युद्ध में सिपाही सिर की सुरक्षा के लिए विशेष हैलमेट (Helmet) का प्रयोग करते हैं. स्कूटर चलाते हुए भी सवार संभावित चोट से बचने के लिए हैलमेट पहनते अनेक शहरों में सरकार ने हैलमेट पहनने के नियम को कानून बना दिया है. क्या तुम जानते हो कि सिर की सुरक्षा इतनी आवश्यक क्यों है?
मस्तिष्क शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जो हड्डियों के एक खोल में सिर में सुरक्षित रहता है. मानव मस्तिष्क तीन भागों में बंटा होता है-1. प्रमस्तिष्क (Cerebrum) 2. अनुमस्तिष्क (Cer- ebellum), तथा 3. मस्तिष्क का पृष्ठ भाग (Medulla Oblongata). मस्तिष्क शरीर की सभी क्रियाओं को संचालित करता है-दृष्टि, स्वाद, गंध, सुनना, स्पर्श, गतिविधि, स्मृति तथा बोलना आदि सभी क्रियाएं मस्तिष्क द्वारा ही नियंत्रित होती हैं.
मस्तिष्क की सुरक्षा खोपड़ी की मोटी हड्डियां करती हैं. इसके नीचे एक आघात सह तरल पदार्थ होता है, जो दिमाग को ठसक या हल्की चोटों से बचाता है. लेकिन यदि आघात बहुत तेज या भारी हो तो खोपड़ी में तरेड़ आ सकती है. इस तरह की चोटों से सिर को बचाने के लिए कृत्रिम साधनों के द्वारा सिर की सुरक्षा आवश्यक है. सिर पर कोई भी चोट शरीर की इन गतिविधियों में बाधा पहुंचा सकती है.
अब प्रश्न उठता है कि सिर में चोट के क्या- क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं?
सिर की गंभीर चोट से ब्रेन हैमरोज हो सकता है, जिससे अकसर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, इस चोट से मनुष्य का स्मृति कोश प्रभावित सकता है, जिससे स्थायी या अस्थायी तौर पर व्यक्ति अपनी याददाश्त खो देता है. अकसर देखा गया है कि सिर में गंभीर चोट लग जाने के परिणामस्वरूप व्यक्ति लंबे अरसे तक अचेतनावस्था में रहता है.
युदि दिमाग के तंतुओं को चोट लग जाए तो व्यक्ति को और भी कई बीमारियां हो सकती हैं. चोट के कारण दिमाग के द्रव्यों में खराबी आ जाने से एक बीमारी होती है, जिसे ‘पार्किंसंस डिजीज’ कहते हैं. इस रोग में हाथ पैर कांपने लगते हैं. दिमाग को चोट में एफेसिया (Aphasia) नाम की बीमारी भी हो सकती है. इसमें विचारों और अभिव्यक्ति का तारतम्य टूट जाता है. इनके अतिरिक्त सिर की चोट से शरीर के और कई हिस्से भी नष्ट हो सकते हैं. इसीलिए सिर को गंभीर चोटों से बचाना व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक है.