विद्युत फ्यूज ऐसी धातु के तार का छोटा सा टुकड़ा होता है जो आवश्यकता से अधिक विद्युत धारा होने पर आसानी से पिघल जाता है
इलैक्ट्रिक फ्यूज (Electric Fuse) एक ऐसा सुरक्षा साधन है। जो विद्युत-धारा पर विद्युत परिपथ (Circuit) को काट देता है. किसी विद्युत परिपथ में अधिक विद्युत धारा बहने के दो मुख्य कारण हैं. जब विद्युत परिपथ कहीं पर शार्ट (Short) हो जाता है, तो बहुत अधिक विद्युत धारा बहने लगती है. दूसरा जब एक ही लाइन पर बहुत विद्युत-यंत्र चलाए जाते हैं, तो परिपथ में धारा की मात्रा अधिक हो जाती है. अधिक विद्युत धारा के कारण तार गर्म होने लगते हैं और आग लगने का डर रहता है. ऐसी स्थिति में परिपथ में लगा फ्यूज उड़ जाता है, जिसके फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है और बिजली का बहना बंद हो जाता है. इस प्रकार तारों का गर्म होना बंद हो जाता है और आग लगने का डर समाप्त हो जाता है.
संसार में लगभग सभी विद्युतचालित यंत्रों में फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है. घरों में बिछे विद्युत तारों में भी जगह-जगह कई फ्यूज लगाए जाते हैं. एक फ्यूज तो मीटर के पास लगाया जाता है. दूसरा जिस खंभे से बिजली आती है, वहां पर भी फ्यूज लगाया जाता है. तीसरा, फ्यूज कमरों में भी लगाए जाते हैं. इन फ्यूजों को प्रयोग में लाने का मुख्य उद्देश्य उपकरणों को क्षति से बचाना है. घरों की विद्युत लाइनों में लगे फ्यूज उपकरणों को तो सुरक्षा प्रदान करते ही हैं साथ ही साथ ये तारों को आग लगने से भी बचाते हैं.
पफ्यूज क्या होता है और कैसे काम करता है?
फ्यूज वास्तव में एक ऐसे तार का छोटा-सा टुकड़ा होता है, जो गर्म होने पर आसानी से पिघल जाता है. यह तार टिन और सीसा धातु के एक विशेष मिश्रण से बनाया जाता है. इस तार का पिघलांक (Meiting Point) काफी कम होता है. इस तार को एक विशेष होल्डर में लगाया जाता है, जिसे फ्यूज होल्डर कहते हैं. यह पोर्सलीन या एबोनाइट या किसी दूसरे विद्युत अवरोधी (Electrical Insulator) पदार्थ से बनाया जाता है.
फ्यूज दो प्रकार के होते हैं: प्लग फ्यूज और कार्टरिज फ्यूज, प्लग फ्यूज कम विद्युत के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं. इनको लगाने के लिए विशेष प्रकार के सॉकिट होते हैं. कार्टरिज फ्यूज कांच की छोटी-छोटी नलियों से बनाए जाते हैं. कांच की नली के दोनों ओर धातु की टोपी होती है, जिसके साथ फ्यूज का तार लगा दिया जाता है. इन फ्यूजों को स्प्रिंग लगे सॉकिटों में लगा दिया जाता है. एक और भी फ्यूज होता है, जिनमें पोर्सलीन के बने होल्डरों में दो पेंच होते हैं. इन पेंचों से फ्यूज का तार जोड़ दिया जाता है और सॉकिट में फिट दिया जाता है.
किसी भी फ्यूज में बहने वाली विद्युत धारा की मात्रा निश्चित होती है. इसे हम फ्यूज रेटिंग के नाम से पुकारते हैं. फ्यूज कुछ मिली एंपीयर रेटिंग से लेकर 50 एंपीयर या उससे भी अधिक विद्युत धारा के लिए बनाए जाते हैं. कम विद्युत धारा के साथ प्रयोग में आने वाले फ्यूजों में पतले तार इस्तेमाल होते हैं, जबकि अधिक विद्युत धारा के लिए मोटे तार प्रयोग में लाए जाते हैं. किसी फ्यूज की रेटिंग तार की मोटाई पर ही करती है, उसको लंबाई पर नहीं. यदि कम विद्युत धारा का फ्यूज अधिक विद्युत धारा वाले परिपथ में लगा दिया जाए तो यह गर्म होकर क्षण भर में पिघलकर टूट जाएगा. इसी प्रकार अधिक विद्युत धारा के लिए बनाया गया फ्यूज यदि कम विद्युत धारा वाले परिपथ में लगा दिया जाए तो उपकरण को सुरक्षा समाप्त हो जाएगी, क्योंकि यह उपकरण की आवश्यकता से अधिक विद्युत धारा बहने पर भी टूटेगा नहीं और परिणामस्वरूप उपकरण जल जाएगा. इसीलिए यह आवश्यक है कि किसी भी उपकरण के साथ उचित फ्यूज हो लगाना चाहिए.
फ्यूज कैसे काम करता है?
फ्यूज को बिजली से युक्त तार में लगाते हैं, फ्यूज जिस विद्युत धारा के लिए बनाया गया, उतनी धारा तक यह गर्म नहीं होगा, लेकिन जैसे ही विद्युत धारा को मात्रा इसकी रेटिंग से अधिक होगी, यह गर्म होकर पिघल जाता है और टूट जाता है. इससे विद्युत परिपथ टूट जाता है और विद्युत धारा बहनी बंद हो जाती है. परिणाम यह होता है कि उपकरण नष्ट होने से बच जाता है. हमें हमेशा उचित रेटिंग का ही फ्यूज इस्तेमाल करना चाहिए, यदि ऐसा न किया गया तो उपकरण के नष्ट होने की संभावना बनी रहेगी.