चीनी (Sugar) प्रकृति से प्राप्त मिठास पैदा करने वाला ऐसा पदार्थ है, जिसे हम रोज ही प्रयोग करते हैं. यह गन्ने से प्राप्त की जाती है. मानव इसका इस्तेमाल प्राचीन काल से ही करता आ रहा है. गन्ने के अतिरिक्त चीनी हमें ताड़, चुकंदर और मैपिल के रस से भी प्राप्त होती है. दूसरा प्रकृति प्रदत्त मिठास पैदा करने वाला पदार्थ फ्रक्टोज है, जिसमें चीनी से आधी मिठास होती है. यह हमें फलों और शहद से प्राप्त होता है. ग्लूकोज, माल्टोज, लैक्टोज आदि कुछ दूसरे मिठास पैदा करने वाले पदार्थ है, जो हमें प्रकृति से मिलते हैं. ये सभी चीनी और फ्रक्टोज से कम मीठे होते हैं. ये सभी पदार्थ खाने के रूप में बड़े महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं.
आज के वैज्ञानिकों ने प्रकृति से प्राप्त इन मिठास पैदा करने वाले पदार्थों के अतिरिक्त कुछ कृत्रिम पदार्थ भी विकसित कर लिए हैं, जो इनसे कई गुना अधिक मीठे हैं. ये सभी कृत्रिम पदार्थ कार्बनिक पदार्थों से बनाए गए हैं. इनमें विशेष से एमाइड्स, इमाइड्स, नाइट्रायल्स, औक्जिम्स, यूरियाज, नाइट्रोएनिलिस आदि मुख्य हैं. भोजन के रूप में इनका कोई महत्व नहीं है, क्योंकि इनसे शरीर को कोई ऊर्जा नहीं मिलती.
सैक्रीन (Saccharin) मिठास पैदा करने वाला सबसे पहला कृत्रिम पदार्थ था. इसका आविष्कार सन् 1879 में अमेरिका की जोहंस हॉपकिंस यूनीवर्सिटी के ईरा रेमसन और सी फालवर्ग ने किया था. इसका रासायनिक नाम ऑर्थो सल्फोबेंज़िमाइड (Ortho Sulphobenzimide) है. इसे टौलीन (Toluene) नामक पदार्थ से बनाया गया था. यह गंधरहित एक सफेद मणिभीय पदार्थ है. यह चीनी से 500 से 700 गुना अधिक मीठा है. इसके सोडियम और अमोनियम लवण मिठास पैदा करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं. अधिकतर पेय पदार्थों में मिठास पैदा करने के लिए सैक्रीन डाली जाती है. जिन लोगों को मधुमेह (Diabetes) नामक रोग होता है, उन्हें चीनी के स्थान पर सैक्रीन प्रयोग करने की सलाह दी जाती है.
डलसाइन (Dulcine), पैरीलरटाइन (Perillartine), सुकारील (Sucaryl), स्टिवियोसाइड (Stevioside), पी-4000, बीटा-इमनो, बीटा फिनाइल, प्रोपियोनाइट्राइल आदि दूसरे पदार्थ हैं, जो मिठास पैदा करने के काम आते हैं. डलसाइन, यूरिया से बनाया जाता है. यह चीनी से 300 गुना अधिक मीठा होता है. पैरीलरटाइन, ऑक्जिम डेरीवेटिव (Derivative) है सुकारील एक प्रकार का सल्फामेट है और यह चीनी से लगभग 100 गुना अधिक मीठा होता है. स्टिवियोसाइड एक प्रकार का ग्लाइकोसाइड है और यह चीनी से 300 गुना अधिक मोठा है. पी-4000 का रासायनिक नाम 2-अमीनो-4-नाइट्रो-एन-प्रोपोक्सी बेंजीन है और यह नाइट्रोएनिलिन का यौगिक है. यह चीनी से 4000 गुना अधिक मीठा होता है. बीटा-इमनो, बीटा फिनाइल, प्रोपियोनाइट्राइल एक नाइट्राइल का यौगिक है. इसकी मिठास चीनी से 330 गुना अधिक है.
संसार की सबसे मीठी वस्तु को टालिन (Talin) कहते हैं. इसकी खोज पश्चिमी अफ्रीका में हुई थी. वहां पाये जाने वाले कुछ पौधों के बीजों की बाहरी परत में टालिन पाया जाता है. यह सुरकोज (Surcose) से 6,150 गुना अधिक मीठा होता है.
यद्यपि आज हमने बहुत से मिठास पैदा करने वाले पदार्थ विकसित कर लिए हैं, लेकिन व्यावसायिक दृष्टिकोण से उनमें से कुछ ही उपयोगी हैं. इसका कारण यह है कि इनमें से बहुत से पदार्थों का शरीर पर विषैला प्रभाव होता है. उदाहरण के लिए पी-4000 और डलसाइन से लिवर (Liver) में रसौली (Tumour) हो जाती है. सैक्रीन और सुकारील को छोड़कर सभी का खाद्य पदार्थों के रूप में प्रयोग पर प्रतिबंध लगा हुआ है.