उत्प्रेरक (Catalyst) वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो स्वयं बिना परिवर्तित हुए केवल अपनी उपस्थिति से रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं. जिन रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रयोग होते हैं. उन्हें उत्प्रेरण प्रक्रम कहते हैं.
उत्प्रेरक कई प्रकार के होते हैं, पर मुख्यतः उन्हें दो वर्गों में बांटा जाता है: धनात्मक उत्प्रेरक तथा ऋणात्मक उत्प्रेरक, घनात्मक उत्प्रेरक वे पदार्थ हैं, जो रासायनिक क्रिया की गति तेज करते हैं तथा ऋणात्मक उत्प्रेरक वे पदार्थ हैं, जो क्रिया को गति को मंद करते हैं. उदाहरण के लिए जब पोटाशियम क्लोरेट को 400 सैल्सियस तक गर्म करते हैं, तो ऑक्सीजन निकलनी शुरू हो जाती है, लेकिन यदि इसमें थोडा-सा मैंगनीज डाइऑक्साइड डाल दिया जाए तो ऑक्सीजन 200° सैल्सियस पर ही बनने लगती है. वास्तव में इस अभिक्रिया में मैंगनीज डाइऑक्साइड धनात्मक उत्प्रेरक का काम करता है, जिससे क्रिया की गति तीव्र हो जाती है. दूसरी ओर पोर्टलैंड सीमेंट में यदि जिप्सम डाल दिया जाए तो सख्त होने की गति धीमी हो जाती है. यहां जिप्सम ऋणात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है. कुछ अभिक्रियाओं में पदार्थ खुद ही उत्प्रेरक की भांति कार्य करता है. ऐसे पदार्थों को कहते हैं. उदाहरण के लिए पोटाशियम पर मँगेनेट के घोल में जब आक्जलिक एसिड डाला जाता है, तो शुरू में वह धीरे-धीरे रंगहीन होता है, लेकिन बाद में उसका रंग तेजी से उड़ने लगता है. इसका कारण यह है कि Mn²+ के आयन ऑटोकैटलिस्ट का काम करते हैं.
यदि किसी क्रिया में भाग लेने वाले पदार्थ और उत्प्रेरक एक ही भौतिक अवस्था में हैं, तो उसे समांग (Homogenous) उत्प्रेरण कहते हैं, और यदि उनकी भौतिक अवस्थाएं अलग-अलग हैं, तो उन्हें असमांग (Heterogenous) उत्प्रेरण कहते हैं.
उत्प्रेरक क्रिया की गति को कैसे प्रभावित करता है?
उत्प्रेरण दो प्रकार से सकता है. पहले प्रकार में उत्प्रेरक पदार्थ की सतह से चिपक जाता है. जिसके कारण क्रिया की गति तीव्र हो जाती है. क्रिया के बाद वह जैसे का तैसा ही बच जाता है. उदाहरण के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन प्लेटिनम पाउडर की सतह पर चिपक कर तेजी से पानी बनाते हैं.
एक दूसरे सिद्धांत के अनुसार एक उत्प्रेरक क्रिया में भाग लेने वाले किसी पदार्थ के साथ एक अस्थायी यौगिक बना लेता है, जिससे क्रिया की गति तीव्र हो जाती है. यह यौगिक दूसरे पदार्थ से मिलकर असली पदार्थ बना लेता है और उत्प्रेरक अपने वास्तविक रूप में बचा रह जाता है.
विभिन्न परीक्षणों से पता चलता है कि उत्प्रेरक की थोड़ी-सी मात्रा ही किसी भी अभिक्रिया को तेज या मंद करने लिए काफी होती है. प्लास्टिक, रबर, गैसोलीन, तेल, वसा, गंधक का अम्ल, अमोनिया आदि बनाने में विभिन्न उत्प्रेरक उपयोगी सिद्ध होते हैं. हमारे शरीर में भी एंजाइम उत्प्रेरक का ही काम करते हैं, जिससे भोजन की पाचन क्रिया तेज हो जाती है. उत्प्रेरक पौधों की कोशिकाओं में होने वाली क्रियाओं में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं.