जलयान का वेग नॉट (Knot) इकाई में मापा जाता है. नॉट एक नाटीकल मील (Nautical Mile) प्रति घंटे का संक्षिप्त रूप है. एक नॉटीकल मील 6076.12 फुट या 1852 मीटर के बराबर होता है. यह दूरी प्रचलित मोल (5280 फुट) से अधिक है.
जलयानों के वेग मापने की इस इकाई का आरंभ कैसे हुआ?
प्राचीन काल में नाविकों के पास पानी के जहाजों का वेग मापने का कोई साधन था. इस काम के लिए वे लकड़ी का एक लट्ट्ठा प्रयोग में लाते थे. लकड़ी के इस लट्टे के एक सिरे पर भारी वजन बांध दिया जाता था और दूसरे सिरे से एक लंबी रस्सी बांध दी जाती थी. इस रस्सी को जलयान के पिछले हिस्से से बांध दिया जाता था. जैसे ही जहाज पानी में चलता था, रस्से उसके पीछे-पीछे चलती थी. किसी निश्चित समय में रस्सी की लंबाई कितनी चली है, उसके आधार पर जलयान का वेग ज्ञात कर लिया जाता था. बाद में रस्सी की निश्चित दूरियों पर गांठ (Knots) लगाना शुरू किया गया. निश्चित समय में नाविक के हाथ से कितनी गांठें निकली हैं, उसके आधार पर जलयान का वेग ज्ञात कर लिया जाता था. इन गांठों के आधार पर ही जलयान के वेग की इकाई नॉट बन गई.
जलयानों का वेग मापने के लिए आज भी लट्ठे प्रयोग में लाए जाते हैं, लेकिन लकड़ी के बजाय लट्ठे धातु के होते हैं, जिनके चारों ओर ब्लेड लगे होते हैं. जैसे-जैसे जलयान चलता है, धातु की छड़ के साथ लगे ब्लेड भी घूमते हैं और उसके साथ रस्मी में ऐंठन पैदा होती जाती है. इसी ऐंठन से एक यंत्र का संबंध होता है, जो जलयान का वेग प्रदर्शित करता रहता है.
दुनिया का पहला सबसे अधिक तेज वेग से चलने वाला जलयान अमेरिका का SES-100B नामक लड़ाकू जलयान था. इसका भार 112 टन है. सन् 1976 में परीक्षण के समय इसका वेग मापा गया था, जो 88.88 नॉट या 102.35 मील प्रति घंटे निकला था. सन् 1980 में अमेरिका की नौसेना के एक होवर क्रॉफ्ट (Hovercraft) ने एक घंटे में 170 किमी. या 91 नॉट प्रतिघंटा चल कर एक नया रिकार्ड स्थापित किया था. उस होवरक्रॉफ्ट का भार 100 टन था.