रात्रि में जब हम आकाश की ओर देखते हैं, तो लाखों-करोडों मील की दूरी पर स्थित सूर्य, चांद और तारे हमें स्पष्ट दिखाई देते हैं, लेकिन धरती की सतह पर हम कुछ किलोमीटर से अधिक दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाते. क्या तुम जानते हो कि इसका क्या कारण है?
यह हम सभी को भली-भांति पता है कि हमारी धरती की बनावट नारंगी जैसी है, अर्थात् गोलाकार है. यद्यपि धरती दोनों ध्रुवों पर काफी समतल है, लेकिन बाकी के स्थानों पर इसकी बनावट वक्राकार है. पृथ्वी की गोलाकार बनावट के कारण ही हम इसकी सतह पर अधिक दूर तक नहीं देख पाते. हम केवल उतनी ही दूर तक देख पाते हैं, जहां तक की वक्रता हमारी ऊंचाई के बराबर होती है. उसके आगे की वस्तुएं हमारी आंखों के तल से नीची पड़ती हैं, इसलिए वे हमें दिखाई नहीं देती.
यदि हम समुद्र के किनारे खड़े होकर दूर तक देखें तो हमें क्षितिज (जहां धरती और आकाश मिले हुए दीखते हैं) लगभग 4 किमी. की दूरी पर ही दिखाई देने लगता है. लेकिन यदि हम ऊंचे स्थान पर खड़े हो जाएं तो बहुत अधिक दूरी तक देख सकते हैं.
6 मीटर की ऊंचाई से लगभग 10 किमी. दूर की वस्तु को देख सकते हैं.90 मीटर ऊंची मीनार की चोटी से हम 37 किमी. की दूरी तक देख सकते हैं. इसी प्रकार 1050 मीटर ऊंचे पहाड़ को चोटी से हमें क्षितिज 130 किमी. की दूरी पर दिखाई देगा. हम 4800 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए जहाज से लगभग 265 किमी. तक की दूरी तक देख सकते हैं. लेकिन दूर की छोटी और बिना चमक की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने के लिए दूरबीन का उपयोग करना पड़ता है.