भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में आज (बुधवार) का दिन काफी अहम है। विधानसभा में कांग्रेस की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। 2011 के बाद पहली बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने जा रहे हैं। कांग्रेस ने 51 पॉइंट वाले अविश्वास प्रस्ताव को मंगलवार को विधानसभा स्पीकर गिरिश गौतम ने सत्र के पहले दिन स्वीकार कर लिया था।
क्या है विधानसभा का गणित
230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के अभी 96 विधायक हैं। इनमें से कांग्रेस विधायक उमंग सिंगार रेप केस दर्ज होने के बाद फरार हैं और विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। एक अन्य विधायक केपी सिंह बीमार होने की वजह से सदन में मौजूद नहीं हैं। इस तरह कांग्रेस के 94 विधायक ही वोटिंग में हिस्सा ले पाएंगे। वहीं, भाजपा के पास 127 विधायक हैं। 4 निर्दलीय, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का रुख अभी साफ नहीं है। हालांकि, अन्य सभी कांग्रेस के साथ भी जाते हैं तब भी अंकगणित में भाजपा कांग्रेस से काफी आगे है और सरकार पर कोई संकट नजर नहीं आता है।
सरकार बोली हम हैं तैयार
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ”हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन गोविंद सिंह को अविश्वास प्रस्ताव कमलनाथ के खिलाफ लाना चाहिए था, जिसके नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी। नरोत्तम ने कहा कि कुछ साल पहले भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और उसका परिणाम सबने देखा। वहीं, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने कहा कि कांग्रेस के 45 विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं।