About Khajuraho Temple: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है, जो वास्तव में आलौकिक और चमत्कारिक है। यहां पर मंदिरों का निर्माण चंदेल साम्राज्य के समय हुआ। 12वीं शताब्दी से खजुराहो में लगभग 85 मंदिर हैं जो 20 किलोमीटर में फैले हुए हैं।
लेकिन अब कुछ ही मंदिर बचे हुए हैं जो अब 6 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं। इनमें से कंदरिया महादेव का मंदिर (Kandariya Mahadev Temple Khajuraho) प्रसिद्ध है व इसमें बहुत सी ऐतिहासिक मूर्तियां बनी हुई हैं। इन मंदिरों में हिन्दू व जैन दोनों धर्मों का मिश्रण भी दिखाई देता है। दोनों ही धर्मों की परंपराओं का वर्णन इन मूर्तियों में है। बताया जाता है कि एक तरफ रखरखाव के आभाव के कारण इन मूर्तियों का ह्रास भी हुआ था तो दूसरी तरफ चोरी भी होने लगी थी। कुछ लोगों ने इन मूर्तियों को सही संकेत न मानते हुए नष्ट करने का सोचा तो कुछ लोगों ने कहा कि ये धर्म के विरुद्ध मूर्तियों हैं। सन् 1986 में यूनेस्को ने इस स्थल को विश्व विरासत में शामिल किया। इसे भारत के सात अजूबों में भी माना गया है।
![Khajuraho Temple: दुनिया में जीवंत और चमत्कारिक है खजुराहो के प्रमुख मंदिर 1 kandariya mahadev temple1](https://www.nishpakshmat.com/wp-content/uploads/2024/05/kandariya-mahadev-temple1-1024x768.jpg)
चंदेल साम्राज्य में हुआ मंदिरों और स्मारकों का निर्माण (History of Khajuraho Temple)
चंदेल साम्राज्य के समय खजुराहो के मंदिरों और स्मारकों का निर्माण हुआ। राजा चंद्रवर्मन ने चंदेल वंश और खजुराहो की स्थापना की। चंदेल राजाओं द्वारा 9वीं सदी में खजुराहो में विश्व प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया गया था। खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है। यहां पर शासन मध्यकाल के समय राजा चन्द्रवर्मन ने राज्य किया और कुछ समय बाद उनके शासन को बुंदेलखंड नाम दे दिया गया और तब से ही खजुराहो का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया। यह कार्य 950 ई से 1050 ई तक चला। इसके पश्चात चन्देलों ने अपनी राजधानी महोबा बना ली। प्रसिद्ध कवि चंदबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में चन्देलों का सन्दर्भ मिलता है।
शिवलिंग के नीचे मणि स्थापित होने की है मान्यता
![Khajuraho Temple: दुनिया में जीवंत और चमत्कारिक है खजुराहो के प्रमुख मंदिर 2 मतंगेश्वर महादेव 1](https://www.nishpakshmat.com/wp-content/uploads/2024/05/मतंगेश्वर-महादेव-1-1024x768.jpg)
एक प्रचलित कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग के नीचे एक मणि है जो भक्तों की हर मनोकामना को पूरी करती है। पुराण कथाओं के मुताबिक भगवान शिव के पास मरकत मणि थी, जिसे उन्होंने पांडवों में सबसे ज्येष्ठ युधिष्ठिर को दिया था। युधिष्ठिर ने मणि मतंग ऋषि को दी थी, जिसके बाद यह मणि उन्होंने राजा हर्षवर्मन को दे दी। मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि मतंग ऋषि ने मतंगेश्वर महादेव के 18 फीट के शिवलिंग के नीचे मणि सुरक्षा की दृष्टि से गाड़ दी थी। यह इस मणि और महादेव का ही प्रताप है कि यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी हो जाती है।
यह भी पढ़ें: अनुपम आस्था के केंद्र बुंदेलखंड की अयोध्या