अनूपपुर। जिले में केजी डेवलपर्स को रेत निकालने का ठेका मिला हालांकि यह बात अलग है कि शासन ने जिस मनसा से केजी डेवलपर को ठेका दिया था उसमें नदियों को सुरक्षा का भी ध्यान रखने का जिम्मा शामिल रहा लेकिन स्थानीय अधिकारियों के संरक्षण मिलने के बाद ठेका कंपनी का मनमानी रवैया इस कदर बढ़ा कि कहीं अवैध खनन खुद करा रही है तो कहीं स्थानीय नेताओं के संरक्षण में पेटी कॉन्ट्रैक्ट में दे दिया गया है।
नियम विरुद्ध खनन
केजी डेवलपर पर जो ठेका मिलने के बाद से ही अपने नियम विरुद्ध खनन के लिए चर्चा में रही है चाहे फिर वह सोन का स्वर्ण घाट हो या केवई का कटकोना व गुलिडाँड़,चंगेरी घाट हालांकि इन सब के पीछे खादी धारी के संरक्षण छिपा हुआ है चर्चा तो इस बात की भी है कि जिले का एक खादी के संरक्षण के बाद ठेका कंपनी खुलेआम नियम विरुद्ध खनन करा रही है जो ना ही प्रशासन से छुपा है और ना ही सत्ताधारी नेताओं से अब देखना यह है कि नियम विरुद्ध खनन रुकता है या और तेज हो जाता है।
खादी के दम पर अवैध खनन
ठेका कंपनी केजी डेवलपर अपनी मनमानी को लेकर चर्चा में जरूर है लेकिन जिले से लेकर संभाग भर में इस बात की भी चर्चा है कि ठेका कंपनी को किस टूटपुजिआ खादी का संरक्षण प्राप्त है जानकारों की मानें तो पड़ोसी जिले कथित खादी धारी माफिया जो कि पहले से ही खनिज माफियाओं की सूची में अपने नाम के साथ सितारों की चमक बटोर रहा हैं।
खतरे में नदियों का भविष्य
ठेका कंपनी को स्थानी रसूख का संरक्षण मिलने के बाद लगातार नदियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है कहीं बीच धार से रेत निकाल रही है तो कहीं धार की गति को रोककर आस्था इस पुल का निर्माण कर लेना ठेका कंपनी के लिए आम हो गया है जिसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से जिले में बैठे आला अधिकारियों को दिया गया है।
रेत की कीमतों पर नही कोई निर्धारण
केजी डेवलपर्स द्वारा जिले में जितनी भी रेत खदानें संचालित की जा रही हैं उन्हें मनमानी तरीके से रेत को बेचा जा रहा है ना तो ठेकेदार द्वारा रेत की दर बोर्ड में चस्पा भी नहीं किया गया है जिसके कारण आम जनता व आवास योजना वालों को तीन गुनी कीमत मैं रेत लेना पड़ रहा है ऐसे में किस प्रकार शासन की योजनाओं का लाभ आम जनता ले पाएगी।