खास बात यह है कि स्मार्ट सिटी में संविदा नियुक्ति देने से पहले बोर्ड आफ डायरेक्टर की अनुमति जरूरी होती है, लेकिन इस मामले में अधिकारियों ने जल्दबाजी दिखाते हुए सेवानिवृत्ति के अगले ही दिन स्मार्ट सिटी में अधीक्षण यंत्री का प्रभार सौंप दिया गया।
दरअसल, पीके जैन को निगम के यांत्रिक शाखा से 30 सितंबर 2023 में सेवानिवृत्त होना था। लेकिन इससे पहले ही स्मार्ट सिटी में अधीक्षण यंत्री के पद पर संविदा नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया गया। अधिकारियों ने भी जैन के बिना सेवानिवृत्त हुए 29 सितंबर 2023 को ही नियुक्ति के संबंध में आदेश जारी कर दिया।
ईओडब्ल्यू में हुई शिकायतों को छिपाया
संविदा नियुक्ति का नियम है कि उक्त उम्मीदवार पर पहले से कोई जांच या आर्थिक अनियमितता की शिकायत नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस मामले में उम्मीदवार द्वारा शिकायतों को छिपाया गया। दरअसल, पीके जैन के खिलाफ ईओडब्ल्यू में दो शिकायतें की गई हैं। इनका शिकायत क्रमांक 156/19 और 107/19 है। वहीं, निगम में सेवा करते हुए भी इनके खिलाफ कई शिकायतें हुईं। लेकिन संविदा नियुक्ति के आवेदन में इसका जिक्र नहीं किया गया।
तीन माह पहले ही मिल गया नो ड्यूज
एक ओर जहां स्मार्ट सिटी द्वारा संविदा नियुक्ति देने की जल्दबाजी दिखाई गई। वहीं, दूसरी ओर नगर निगम के अधिकारियों ने भी पीके जैन के सेवानिवृत्त होने से पहले ही उन्हें नो ड्यूज के सारे दस्तावेज उपलब्ध करा दिए। बता दें कि जैन द्वारा नगर निगम की संस्थापन शाखा में छह जून 2023 को आवेदन किया गया, जबकि 11 जून 2023 को निगम ने इन्हें नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी दे दिया। साथ ही इसमें लिखा गया कि 30 सितंबर 2023 तक पीके जैन के खिलाफ कोई बकाया शेष नहीं है।
इस मामले में जब नगर निगम के आयुक्त फ्रेंक नोबल ए. से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, स्मार्ट सिटी में संविदा नियुक्ति पर आए अधीक्षण यंत्री पीके जैन से बात की तो उनका कहना था कि आप स्मार्ट सिटी से जानकारी ले लीजिए। मैं इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता।