नई दिल्ली। अभी तक हम टमाटरों का रोना रो रहे थे। टमाटर 20 से 250 तक चले गए। तड़का कैसे लगेगा, बगैर टमाटर सब्जी बेस्वाद हुई। टमाटर एक डेढ़ महीने में रास्ते पर आ गए। मगर स्वाद को चुपके से बेस्वाद बनाने के लिए मसाले अब बे-रास्ता हो गए हैं। पिछले दो महीनों में रसोई में जरूरी तौर पर प्रयोग में लाए जाने वाले मसालों के दाम कुछ के दोगुने तो कुछ के दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। मसालों की कीमतों का असर गृहिणियों के घरेलू बजट पर पड़ है। होटलों में मिलने वाले भोजन से लेकर स्ट्रीट फूड के चाट पकौड़ों पर भी पड़ा है।
मसालों का मसला कहीं चर्चा का विषय भी नहीं है। प्याज और टमाटर के दाम बढ़ने पर संसद से सड़क तक खूब चर्चाएं होती हैं। गरम मसालों में शुमार और मिठाइयों से लेकर खीर तक का स्वाद बढ़ाने वाली छोटी इलायची की कीमतें पिछले दिनों 1300 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई। छोटी इलायची जो 2200 रुपये प्रति किलो थी अब 3500 रुपये प्रति किलो मिल रही है।
रोजमर्रा की रसोई में मसाले और तड़के के तौर पर जीरे का प्रयोग अनिवार्य है। जीरा छाछ, रायता आदि में प्रयोग किया जाता है। जीरे की कीमत पिछले दो माह के दौरान ही दोगुनी हो गई है। जीरा 400 रुपये प्रति किलो से 800 रुपये प्रति किलो पर पहुंच चुका है।
किराना के थोक और खुदरा व्यापारी बताते हैं कि पिछले दिनों जीरा, काली मिर्च, हल्दी, साबुत मिर्च, हल्दी सौंफ आदि मसालों की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। थोक मूल्यों में वृद्धि का असर खुदरा मसालों पर भी पड़ा है। विभिन्न ब्रांड के पैक मसालों का इस पर पूरा असर पड़ा है। लोग पहले इन मसालों को ज्यादा मात्रा में खरीदते थे। कीमतें बढ़ने से खास तौर पर कम आय वर्ग के लोग जीरा, काली मिर्च, इलाइची आदि बहुत कम मात्रा में ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि मध्य वर्ग के लोग आम तौर पर घर का राशन एक साथ ले लेते हैं। बढ़ा हुआ बिल उन्हें परेशान तो करता है मगर उन्होंने इस पर बहुत ध्यान नहीं दिया। उनके महीने भर के राशन में मसालों की बढ़ी हुई कीमतों का पूरा असर है।