नई दिल्ली। देशभर में ‘पुरानी पेंशन बहाली’ को लेकर सरकारी कर्मियों की मुहिम चल रही है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, ‘पुरानी पेंशन’ पर निर्णायक लड़ाई की तरफ बढ़ रहे हैं। खास बात है कि इस बार, विभिन्न प्रदेशों के सरकारी कर्मचारी संगठन भी केंद्रीय कर्मियों के साथ आ गए हैं। माना जा रहा है कि इस मुद्दे का असर इस समय चल रहे विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।
शीर्ष बॉडी की बैठक में होगा निर्णय
गुरुवार को सी. श्रीकुमार ने बताया, पुरानी पेंशन के लिए 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट कराने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन, मंडल और दूसरी यूनिटों में दो दिन तक वोट डाले जाएंगे। करीब 11 लाख कर्मचारी इस मतदान में हिस्सा लेंगे। रेलवे कर्मियों ने ‘ओपीएस’ पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पक्ष में अपनी क्या राय दी है, वह नतीजा दो तीन दिन बाद घोषित किया जाएगा। इसी तरह से डिफेंस इंडस्ट्री के चार लाख कर्मचारी भी स्ट्राइक बैलेट में हिस्सा लेंगे। चूंकि केंद्र सरकार के ये विभाग इंडस्ट्री के तहत आते हैं, इसलिए नियमानुसार इनमें वोटिंग कराना जरूरी है। डीआरडीओ की लैब, आयुद्ध कारखाने और दूसरी रक्षा इकाइयों के कर्मचारी, स्ट्राइक बैलेट में भाग लेंगे। रक्षा क्षेत्र की यूनिटों के स्ट्राइक बैलेट का परिणाम 21 नवंबर की शाम तक आ जाएगा।
रेलवे का परिणाम, दो तीन बाद मिलेगा। इसके बाद केंद्रीय कर्मचारी संगठनों की शीर्ष बॉडी की बैठक होगी। उसमें स्ट्राइक बैलेट के नतीजों पर चर्चा होगी। अगर स्ट्राइक के पक्ष में दो-तिहाई कर्मचारी हुए, तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी जाएगी। खास बात है कि इस हड़ताल में विभिन्न राज्यों के शिक्षक एवं दूसरे कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे। कठोर निर्णय होने की स्थिति में केंद्र एवं राज्यों में सरकारी कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। उस अवस्था में रेल थम जाएंगी, आयुद्ध कारखाने, जो अब निगमों में तब्दील हो चुके हैं, वहां पर काम बंद हो जाएगा।
अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प
सी. श्रीकुमार का कहना है, पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। बैंक एवं इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों से सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है।