भोपाल। गोदाम संचालकों की आपत्ति के बाद सरकार ने निजी गोदामों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूं के भंडारण की व्यवस्था बदली है। अब संयुक्त भागीदारी योजना के अंतर्गत अनुबंधित निजी गोदाम में 25 प्रतिशत तक रिक्त होने पर उसमें भंडारण किया जा सकेगा। यह शर्त अवश्य रहेगी कि गोदाम में वर्ष 2020-21 से 2022-23 का क्षतिग्रस्त या कीटग्रस्त गेहूं भंडारित है तो उसे पहले सुधरवाकर अलग रखवाना होगा। इसके बाद ही 2024-25 में उपार्जित गेहूं का भंडारण किया जा सकेगा।
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की अपर मुख्य सचिव स्मिता भारद्वाज ने 11 मार्च को सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि निजी गोदाम में पिछले वर्ष का उपार्जित या अन्य व्यक्तियों का गेहूं रखा होने पर भंडारण न किया जाए। इसे लेकर गोदाम संचालक संगठन ने आपत्ति की थी। उनका कहना था इस निर्णय से प्रदेश के गोदाम खाली रह जाएंगे और बैंक ऋण भी नहीं चुका सकेंगे। विभागीय मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा था कि मेरे संज्ञान में लाए बिना ऐसा आदेश जारी किया गया है। मुख्यमंत्री के संज्ञान में बात लाऊंगा।
इसके बाद सोमवार को राज्य भंडारण गृह निगम ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कलेक्टरों को निर्देश दिए कि गेहूं उपार्जन नीति के अनुसार संयुक्त भागीदारी योजना में अनुबंधित निजी गोदामों में गेहूं का भंडारण होगा। ऐसे गोदामों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी, जिनमें पिछले वर्ष भंडारण नहीं किया गया है या सौ प्रतिशत खाली हो चुके हैं। यदि गोदाम में वर्ष 2020-21 से 2022-23 का क्षतिग्रस्त, कीटग्रस्त गेहूं भंडारित है तो उसे पहले सुधरवा कर अलग रखवाया जा चुका है तो फिर कुल क्षमता के 75 से लेकर 25 प्रतिशत रिक्त होने पर भंडारण किया जा सकेगा।
उपार्जन केंद्र से दो किलोमीटर की परिधि में संयुक्त निजी भागीदारी योजना अनुबंधित गोदाम उपलब्ध होने पर प्राथमिकता क्रम के अनुसार गोदाम का चयन किया जाएगा। कलेक्टरों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि शासकीय और गारंटीयुक्त गोदामों में रिक्त क्षमता के अनुसार भंडारण हो जाए। यदि शासकीय या निजी गोदाम उपलब्ध न हो तो समिति स्तर पर उपार्जन केद्र स्थापित किए जाएं।