भोपाल। लोकसभा चुनाव की तैयारी राजनीतिक संगठनों ने संगठन स्तर पर शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में सर्जरी शुरू हो गई है। प्रदेश कार्यकारिणी को भंग करने के बाद नेतृत्व जिला अध्यक्षों को फिलहाल पूर्व के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिये हैं। प्रदेश नेतृत्व के तेवरों को देखते हुए तय माना जा रहा है कि प्रदेश संगठन का कायाकल्प करने के बाद जिला स्तर पर बदलाव किया जाएगा।
पहली बार प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा हाथों में
पहली बार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने मध्य प्रदेश की कमान युवा हाथों में सौंपी है, क्योंकि प्रदेश में पिछले 20 वर्षों से कांग्रेस सत्ता से दूर है। 2018 के विधानसभा चुनाव जैसे-तैसे कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, क्योंकि आपसी खींचतान के कारण सत्ता की डोर कांग्रेस के हाथ फिसल गई। 2023 के विधानसभा चुनाव में समीकरण व परिस्थितियां अनुकूल होने के बाद भी कांग्रेस दो तिहाई बहुमत तक पहुंचना तो दूर 100 की संख्या को भी पार नहीं कर पाई।
प्रदेश नेतृत्व में हुई परिवर्तन पर कांग्रेस विचारधारा से जुड़े लोगों का मानना है कि यह फैसला काफी समय पहले होना चाहिए था। कांग्रेस को भाजपा से सीखना चाहिए कि किस तरीके से वह अपने नए चेहरों को सामने लाकर विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल बना लेती है।
परिवर्तन से अच्छे परिणाम की उम्मीद
प्रदेश कार्यकारिणी भंग होने के बाद कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में थोड़ी सी उम्मीद जागी है। यह परिवर्तन जिला व ब्लाकस्तर पर होने की आस लगा रहा है, क्योंकि जिलों में वही पुराने चेहरे हैं। उनकी न कोई नई सोच है, और न ही पार्टी को आगे बढ़ाने का कोई जज्बा है। कांग्रेस नेताओं का भी मानना है कि परिवर्तन से संगठन में नया जोश भरा जा सकता है और नई दिशा भी दी जा सकती है।