भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का मतदान होने के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में कई उलझे हुए सवालों के खुलकर जवाब दिए। सीएम ने विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा कॉन्ट्रोवर्सी पैदा करने वाले अपने बयानों के पीछे के किस्से भी बताए।हालांकि इस दौरान सीएम काफी गंभीर दिखाई दिए। ऐसा लग रहा था मानो जबरन मुस्कराने का प्रयास कर रहे हों।
साथ ही दावा भी कर दिया.. सभी 230 सीटों पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्राणोंप्रण से मेहनत की है। हम ये कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने जा रहा है।
इस चुनाव में नाम होने, ना होने को लेकर खूब बयानबाजी हुई?
मैं कभी नाम के चक्कर में पड़ा ही नहीं। मैं काम में विश्वास करता हूं। इस बार के चुनाव में मात्र ढाई घंटे ही सो पाता था। पिछले 2013 और 2018 के चुनावों की तुलना में इस इलेक्शन में कई गुना ज्यादा मेहनत की। ये अपने-अपने सोचने का तरीका है। लोग इसी सोच में डूबे रहते हैं मेरा नाम नहीं हो रहा है तो मैं क्यों करूं। मुझे आगे नहीं किया तो मैं क्यों करूं। मैंने तो जितनी शक्ति है उससे ज्यादा ऊर्जा के साथ काम किया।
“भैया चला जाएगा तो बहुत याद आएगा” आपके ऐसे बयानों का क्या मतलब था?
वो बात ऐसे निकली… हुआ यूं कि मैं लाडकुई में था और मेरे क्षेत्र का एक व्यक्ति मुझसे कहने लगा कि भैया आपने ये नहीं किया, मेरा ये काम नहीं किया। वो जब बहुत सारी बातें करने लगा तो मैंने कह दिया कि भैया चला जाएगा तो बहुत याद आएगा।
एक और बयान था कि चुनाव लडूं या ना लडूं?
हां, वो ऐसा है कि कई बार मेरे अपने क्षेत्र बुधनी के लोग छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी जाहिर करने लगते हैं। लोगों का मुझसे लगाव – जुड़ाव ऐसा है कि लोग जो मन में आता है वो मुझसे कह देते हैं। मैं भी प्रेम परीक्षा लेने के लिए कह देता हूं कि मैं भोपाल से लड़ लूं.. तो बुधनी के लोग कहने लगते हैं- ऐसे कैसे लड़ लेंगे? कभी विदिशा के लोग आ जाते हैं कि हमारे यहां से लड़ लो, तो मैंने मंच से पूछ लिया था कि चुनाव लडू या ना लडू?
चुनाव में लाड़ली बहनों ने वोट दिए होंगे?
महिलाओं, बहनों के सम्मान से चुनाव का क्या संबंध? जैसे मैंने लाड़ली लक्ष्मी योजना जब बनाई थी, उस वक्त मप्र में बेटियां कोख में मार दी जाती थीं। बड़े पैमाने पर गर्भपात होते थे। चंबल के भिंड-मुरैना में तो बेटी पैदा होते ही मुंह में तंबाकू भरकर मार देते थे। एक गांव में तो 14 साल तक कोई बेटी पैदा नहीं हुई। मुझे इस बात का सुकून है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद उस गांव में बेटी पैदा हुई। इन बातों को कोई माने या ना माने, लेकिन ये मेरे दिल का सुकून देती हैं।