खंडवा । खंडवा में वन विभाग की स्थापना शाखा के बाबू और सहायक को 12 लाख 49 हजार के गबन के मामले में सस्पेंड कर दिया है। मामले की पड़ताल करने इंदौर से ट्रेजरी टीम मंगलवार को सामान्य वन मंडल के दफ्तर पहुंची। जांच में खुलासा हुआ कि रिटायर्ड वनकर्मियों के नाम के सामने बाबू ने खुद का बैंक अकाउंट नंबर और आईएफएससी कोड डाल दिया था। जब हेड ऑफिस से रिटायर्ड वनकर्मियों के एरियर व पेंशन का रुपया डाला तो सीधे बाबू के खाते में ट्रांसफर हुए। ऑडिट में दोनों बाबूओं की करतूत उजागर हुई। डीएफओ ने गबन किए गए रुपयों में से 8 लाख रुपया रिकवर कर लिया है।
गबन का ये मामला 2022-23 के वित्तीय वर्ष मार्च-अप्रैल के अंत का है। वन विभाग के स्थापना शाखा के बाबू आलोक मिश्रा व उनके सहायक राम कुमार जाधव पर इसकी जिम्मेदारी थी। दोनों के मन में लालच आया और उन्होंने रिटायर्ड कर्मचारियों का रुपया हड़पने का प्लान किया। लिस्टिंग करते समय रिटायर्ड कर्मचारियों के नाम के आगे इन्होंने अपने बैंक खातों के नंबर और आईएफएससी कोड नंबर लिख लिए, उन्हें पता था कि अभी विभाग में ऐसा सिस्टम नहीं बना कि रुपए डालने से पहले नाम और खाता नंबर का वेरिफिकेशन हो सके। पांच कर्मचारियों का 12 लाख 49 हजार रुपया मिश्रा ने अपने खाते में डलवा लिए। मिश्रा व राम कुमार जाधव ने इन रुपयों को आपस में बांट लिए।
जुआ खेलने की लत ने बना दिया अपराधी
प्राप्त जानकारी के अनुसार मिश्रा की जुआ खेलने की आदत है। लाखों रुपया वह दांव पर लगा देता है। मिश्रा ने जब गबन किया तो जाधव को विश्वास में लिया। उसके बाद दोनों ने इसे अंजाम दिया। हालांकि जांच में राम की लिप्तता सीधे नहीं मिली है। लेकिन उसे इस गबन के बारे में पूरी जानकारी थी। जब मिश्रा बाहर होता था तो पूरा एकाउंट भी जाधव ही हैंडल करता था।
बिल वाउचर से पकड़ाया बाबू व सहायक
हर साल विभाग द्वारा दिए जाने वाले रूपयों का हिसाब-किताब ऑडिट टीम करती है। पिछले वित्तीय वर्ष का ऑडिट किया गया तो रिटायर्ड कर्मचारियों के बिल-वाउचर में गड़बड़ी पाई गई। ऑडिट टीम ने देखा कि नाम सबके अलग है और एकाउंट नंबर एक ही है। यानी जिन कर्मचारियों को ये रुपया मिलना था वे इससे वंचित रह गए थे। टीम ने एकाउंट नंबर की जानकारी जुटाई तो पता चला कि खाता धारक बाबू मिश्रा के नाम पर ही है। डीएफओ राकेश डागौर को इसके बारे में जानकारी दी गई। डामोर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मिश्रा व जाधव को सस्पेंड कर दिया।
आठ लाख हुए रिकवर, दोषियों पर होगी कार्रवाई
इधर, डीएफओ राकेश डामोर का कहना है कि, पिछले वित्तीय वर्ष के रिकार्ड का ऑडिट हुआ तो ये फर्जीवाड़ा पता चला। इसलिए तत्काल मिश्रा व जाधव को सस्पेंड कर उनसे 8 लाख रुपए रिकवर भी कर लिए गए हैं। आगामी तीन-चार दिनों में बचे हुए साढ़े 4 लाख रुपए भी वसूल लिए जाएंगे। शासन का पैसा हड़पने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विभागीय जांच के अलावा पुलिस कार्रवाई भी की जाएगी।