भोपाल। कर्ज में गले गले तक डूबी मध्यप्रदेश सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए लाडली बहना योजना भले ही चालू रखनी पड़ रही हो, लेकिन उसके बदले कोई पौने चार सौ योजनाओं को फिलहाल ब्रेक लगाना पड़ा है। इनमें स्कूल, आईटी, उद्योग, कृषि ऋण, मेट्रो रेल और प्रधानमंत्री सडक़ योजनाएं भी शामिल बताई जा रही हैं।
हालांकि सीएम मोहन यादव लगातार कह रहे हैं कि कोई योजना बंद नहीं की जायेगी, लेकिन सच्चाई यह है कि सैकड़ों योजनाएं बंद कर दी गई हैं। विभाग कह रहे हैं कि फंड आयेगा, तब चालू करेंगे। पिछले दस महीनों में सरकार ने जो तीन आदेश जारी किए हैं उससे साफ हो गया है कि वित्त विभाग की अनुमति के बिना योजनाओं के लिए धन नहीं निकाला जा रहा है। योजना बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षा विभाग हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग की 20 योजनाएं ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं। हाल ये है कि जिन योजनाओं को बंद किया गया है, उनके पुराने भुगतान नहीं किए गए हैं। करोड़ों का भुगतान मांगने वालों की कतार लगी है।
असल में मौजूदा मोहन सरकार को विरासत में 3.50 लाख करोड़ रुपए का कर्ज मिला है, जबकि एक माह में 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज और ले लिया गया है। चुनाव से पहले भाजपा ने कई वादे किए थे। इन वादों और योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकारी खर्च में दस प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है।