भोपाल। चुनावी माहौल में बागियों की धरती यानी चंबल की फिजा थोड़ी बदली हुई दिख रही है। इस अंचल की राजनीति में ‘बास’ कहे जाने वाले मोदी कैबिनेट के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को 15 साल बाद विधानसभा चुनाव के अखाड़े में रणनीति के तहत उतारा गया है। नरेंद्र खुद तोमर होते हुए भी तोमरों के चक्रव्यूह में फंस गए हैं..। यहां मुकाबला कड़ा है और लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि तोमरों के वोट बंट गए तो बसपा का ब्राह्मण एमएलए न बन जाए।
मंत्री जी जहां से लड़ रहे हैं, वहां पैसा, कुर्सी काम नहीं आती। सबकी इज्जत ऊंची रखनी होती है। जातिगत समीकरण साधने होते हैं। ये क्षेत्र है दिमनी, जहां से कांग्रेस ने वर्तमान विधायक रवींद्र तोमर ‘भिड़ौसा’ को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि आम आदमी पार्टी से सुरेंद्र सिंह तोमर भी मैदान में हैं। तोमरों की इस तिकड़ी के कारण हाथी पर सवारी कर रहे बलवीर दंडौतिया सीधी टक्कर दे रहे हैं, क्योंकि वह चुनावी रण में एकलौते बामन(ब्राह्मण) हैं और दिमनी में दोनों ही जातियां (क्षत्रिय-ब्राह्मण) ज्यादा भी हैं, और जुदा भी।
नरेंद्र तोमर के बड़े लड़के देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर हैं, जिन्हें समर्थक रामू भैया कहते हैं..पिछले तीन बार से टिकट के लिए जबरदस्त संघर्ष किया लेकिन सफल नहीं हुए। अब पिता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वैसे टिकट नहीं मिलने पर एक दो-बार पारिवारिक खटपट की बात तक आ चुकी है।
नरेंद्र तोमर खुद अप्रत्यक्ष तौर पर कह चुके हैं कि वे यहां फंस गए हैं। अब शिवराज को हटाने का मामला जब भी आता, अपनी दाल न गलते दिया तोमर हर बार शिवराज के पक्ष में ही खड़े दिखाई दिए। इधर सिंधिया उधर प्रह्लाद पटेल, इससे बेहतर शिवराज। बस यही फार्मूला अपनाया। पर अब खुद चक्रव्यूह में फंस गए।
तोमर वोट एकतरफा मिलते हैं तो भी जीत मुश्किल है। इस सीट में गांव तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी आता है, लेकिन उनकी अपने गांव में ही इतनी बात नही है कि वोट दिला सकें। सो यहां अभी तक नही पहुंचे। तोमर साहब खुद यहां कभी नही आए। यहां के तोमर उन्हें अब देख रहे हैं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार रविंद्र तोमर हर तोमर के सुख दुख में मौजूद रहे। अब तोमर कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री हैं तो होते रहें, वे उन्हें नहीं जानते। अब वोट की बारी है, देखना होगा कि दिमनी का ताज किसके सिर सजता है।