भोपाल। मध्य प्रदेश में इस बार दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू करने के बाद अब मंत्रियों को विभाग बंटवारे में भी यूपी का फॉर्मूला अपनाने की बात कही जा रही है। योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गृह विभाग अपने पास रखा है। इसके साथ ही जनसंपर्क भी अपने पास ही रखा है। विभाग बंटने के बाद अब परफॉर्मेंस दिखाने की बारी है। इसके लिए इंतजार करना होगा।
पहले उमा भारती ने चंद महीने के लिए विभाग अपने पास रखा था। वैसे ही शिवराज भी जब पहली बार सीएम बने थे तब शुरुआत के कुछ महीने के लिए गृह विभाग उनके पास था। अब डॉ. मोहन यादव ने भी गृह विभाग की जिम्मेदारी किसी और को न देकर खुद संभाली है।
कौन सा विभाग किस मंत्री को देना है, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, राव उदयप्रताप सिंह जैसे कद्दावर नेताओं के मंत्री बनने की वजह से विभागों का बंटवारा दिल्ली से हुआ। इसमें देरी होने की वजह भी
यही बताई जा रही है। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने विभागों के बंटवारे में इन नेताओं के अनुभव को ध्यान में रखा, लेकिन चार बड़े विभाग मुख्यमंत्री को देकर यह संदेश भी दे दिया है कि डॉ. मोहन यादव ही सबसे ताकतवर रहेंगे।
शिवराज कार्यकाल के 3 मंत्रियों को मिला प्रमोशन
शिवराज सरकार में मंत्री रहे जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को उप मुख्यमंत्री बनाकर पहले जातिगत समीकरण को साधा गया और अब विभाग के बंटवारे में भी दोनों का कद कम नहीं किया गया। देवड़ा को संघ का करीबी भी माना जाता है, उन्हें वित्त, वाणिज्य कर, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शुक्ल से भले ही जनसंपर्क विभाग वापस ले लिया गया है, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले कार्यकाल में दोनों ही मंत्री किसी भी कॉन्ट्रोवर्सी में नहीं रहे।
इसी तरह स्कूल शिक्षा मंत्री रहे इंदर सिंह परमार को अब उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शिवराज सरकार में यह विभाग डॉ. मोहन यादव के पास था। वे भी संघ के करीबी माने जाते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री बनाए गए हैं। शिवराज सरकार में उनके पास दो बड़े विभाग परिवहन व राजस्व थे। इसी तरह 8 बार के विधायक विजय शाह के पास पिछले कार्यकाल में वन जैसा बड़ा महकमा था, लेकिन इस बार उन्हें जनजातीय कार्य और लोक परिसम्पत्ति एवं प्रबंधन विभाग दिया गया है। विजय शाह पिछले कार्यकाल में कई मौकों पर विवाद में भी रहे। हाल ही में चिकन पार्टी को लेकर वे विवाद में आए थे।
सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों काविभाग यथावत
विभागों के बंटवारे में मंत्रियों के पिछले कार्यकाल की परफॉर्मेंस को भी आधार बनाया गया है। यही वजह है कि सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट को जल संसाधन और प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऊर्जा विभाग दिए गए हैं। शिवराज सरकार में भी दोनों मंत्रियों के पास यही विभाग थे।
दो पूर्व सांसदों को बड़े विभाग
चार बार के सांसद एवं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को पीडब्ल्यूडी जैसा भारी भरकम विभाग दिया गया है। यह विभाग लगातार 8 बार विधानसभा का चुनाव जीते (अब 9वीं बार) सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव के पास था। इसी तरह राव उदयप्रताप सिंह को परिवहन के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षा विभाग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी मंत्री को दिया जाता है। साफ है कि पहली बार विधायक बने दोनों पूर्व सांसदों पर पार्टी ने भरोसा जताया है।
चार बार के विधायक विश्वास सारंग का विभाग भले ही बदल दिया गया है, लेकिन उनके कद के हिसाब से विभाग दिया गया है। उन्हें सहकारिता और खेल एवं युवा कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शिवराज सरकार में वे चिकित्सा शिक्षा व गैस राहत मंत्री थे।
जो जिस जाति का, उसे वही विभाग
दो मंत्री विजय शाह को जनजाति कल्याण और कृष्णा गौर (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग दिया गया है। शाह खुद जनजाति समुदाय और गौर (यादव) ओबीसी वर्ग से आती हैं।
10 नए चेहरों में से 6 को स्वतंत्र प्रभार
डॉ. मोहन कैबिनेट में 10 नए चेहरों को जगह मिली है। सभी को राज्यमंत्री बनाया गया है। इनमें से 6 मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। कृष्णा गौर और धर्मेंद्र लोधी को बड़े विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
गौर को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्धघुमन्तू विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से ओबीसी मुद्दे के कारण यह अहम है। धर्मेंद्र लोधी को संस्कृति, पर्यटन एवं धार्मिक न्यास जैसा विभाग सौंपा गया है। इस विभाग पर संघ की नजर रहती है। पहले यह विभाग संघ की करीबी उषा ठाकुर के पास था।