भोपाल। सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकायुक्त संगठन बनाया गया है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसी संगठन में एक अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर आए थे और अठारह साल से यहीं जमे हैं। कार्यपालन यंत्री से मुख्य अभियंता बन गए, लेकिन उनकी मूल विभाग में वापसी नहीं हुई। इसमें न केवल नियम-कानून ताक में रखे गए हैं, अपितु इनकी कार्यप्रणाली पर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार लोकायुक्त कार्यालय पदस्थ नेपाल सिंह जोहरी मुख्य अभियंता का मूल विभाग लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी है, वह लगभग 18 वर्षों से लोकायुक्त कार्यालय में कुंडली मारे बैठे हुए हैं। इनकी पदस्थापना 2005 में की गई थी। लोकायुक्त संगठन में वर्ष 2005 में नेपाल सिंह जोहरी लोक स्वास्थ्य यंत्र की विभाग के आदेश क्रमांकजी एफ-3 / 10 / 20010 दिनांक 14 /2005 को लोकायुक्त संगठन में कार्यपालन यंत्री के पद पर पदस्थ हुए थे। लोकायुक्त संगठन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से प्रतिनियुक्ति पर कार्यपालन यंत्री के पद पर पदस्थ हुऐ और इसी पद पर पदस्थ रहते हुए ही दिनांक 25/8/2008 को मध्य प्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग आदेश क्रमांक एफ -1- 13 / 2008 /1- 34 द्वारा अधीक्षण मंत्री के पद पर पदोन्नति प्राप्त कर लोकायुक्त संगठन में ही पद स्थापना याथावत रही इसके पश्चात मध्य प्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मंत्रालय के आदेश क्रमांक एफ 1- 33 / 2012 / 1 / 34 दिनांक 4 /10/ 2013 को नेपाल सिंह जौहरी की पदउन्नति मुख्य अभियंता पर हुई एवं उनकी पदस्थापना सामान्य प्रशासन विभाग में सेवाएं वापस लेते हुए तथा नगरी प्रशासन एवं विकास विभाग को सेवाएं वापस सौंपते हुए नगर पालिका निगम जबलपुर की गई किंतु श्रीमान इतने योग्य एवं कर्मठ अधिकारी है कि उनके लिए 6 माह तक लोकायुक्त संगठन में मुख्य अभियंता की जगह खाली रखी गई एवं 6 महीने पश्चात नेपाल सिंह जोहरी को पुन: लोकायुक्त संगठन में मुख्य अभियंता के पद पर दिनांक 22 /4 /2014 को पुन: मध्य प्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मंत्रालय के आदेश क्रमांक एफ 1 – 33 / 2012 / 1 / 34 विभाग की सम संख्यक आदेश दिनांक 4/10 /2023 द्वारा सरल क्रमांक 2 पर अंकित श्री नेपाल सिंह जोहरी अधीक्षण यंत्री सिविल कार्यालय लोकायुक्त संगठन मध्य प्रदेश भोपाल में मुख्य अभियंता सिविल के पद पर पदोन्नति उपरांत की गई पदस्थापन संबंधी कलम क्रमांक 3 में आंशिक संशोधन करते हुए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से उनकी सेवाएं वापस लेते हुए सामान प्रशासन विभाग को यथावत सेवाएं प्रति नियुक्ति पर सौंपते हुए लोकायुक्त संगठन मध्य प्रदेश भोपाल में मुख्य अभियंता सिविल के रिक्त पद पर पदस्थ किया गया।
इस दौरान भ्रष्टाचार के मामलों में तकनीकी जांच कितनी की और उनमें इनकी रिपोर्ट के आधार पर कितने लोगों को क्लीन चिट इन्होंने दिलवाई, ये जांच का विषय हो सकता है, लेकिन इनके खिलाफ अनेकों शिकायतें होने के बावजूद इन्हें हटाया नहीं जा सका। जौहरी के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की गई थी, किंतु वहां कुछ भी नहीं हुआ। नए मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को भी इनके खिलाफ शिकायत की गई है। देखना होगा कि लोकायुक्त संगठन में नियम-कानून का पालन कौन करवा पाता है?