Friday, 9 May

इंदौर। 1999 के छत्तीसगढ़ की अदालत से जुड़े एक मामले में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किल बढ़ सकती है। वह 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इंदौर-1 निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार हैं। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) अदालत ने विजयवर्गीय को ‘भगोड़ा’ घोषित किया था और उनके खिलाफ 2019 में स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। एक आपराधिक मामले में कोर्ट के नोटिस का बार-बार जवाब नहीं देने के कारण उन पर यह कार्रवाई की गई थी।

मामले में शिकायतकर्ता वरिष्ठ अधिवक्ता कनक तिवारी, छत्तीसगढ़ के पूर्व एडवोकेट जनरल हैं। विजयवर्गीय लगभग 10 साल बाद किसी विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद अदालत के आदेश सोशल मीडिया पर सामने आए। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने विजयवर्गीय से रविवार को दुर्ग अदालत में तिवारी की शिकायत के बारे में बात की, तो उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें जानता हूं। वह कांग्रेस नेता हैं। मुझे केस के बारे में नहीं पता। मेरे पास कोई समन नहीं आया।’ विजयवर्गीय ने सोमवार को नामांकन के साथ जो हलफनामा दाखिल किया, उसमें छत्तीसगढ़ में किसी भी लंबित मामले का जिक्र नहीं है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में पांच लंबित मामलों का जिक्र जरुर किया है।

तिवारी ने आगे बताया कि उन्होंने लोकायुक्त से भी शिकायत की, लेकिन कोई जांच नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या विजयवर्गीय ने इस मामले की जानकारी का उल्लेख चुनावी हलफनामे में किया है या नहीं।

Share.
Exit mobile version