नई दिल्ली। बीती 25 अगस्त को बाज़ार नियामक SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट को अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंपी थी. अब 13 अक्टूबर को नई स्टेटस रिपोर्ट सौंपने वाली है. इस बीच जांच से जुड़े कुछ नए तथ्य बाहर आए हैं. कॉर्पोरेट रिकॉर्ड्स से पता चला है कि जिन 13 विदेशी फंडों की जांच चल रही है, उनमें से एक – ओपल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड – की जानकारी में घालमेल है. बताया गया है कि केस के लिहाज़ से ये बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ये कंपनी अडानी पावर लिमिटेड में सबसे बड़ी पब्लिक इनवेस्टर है।
इंडियन एक्सप्रेस के जय मज़ूमदार की एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक़, ये ‘एक व्यक्ति की कंपनी’ है. मई 2019 में इसकी स्थापना हुई थी, संयुक्त अरब (UAE) में. कंपनी का पता भी सटीक नहीं है. एक दूसरे कॉर्पोरेट सर्विस प्रोवाइडर ‘ट्रस्टलिंक इंटरनैशनल’ के पते पर दर्ज है।
SEBI की जांच में मालूम हुआ कि ओवल इनवेस्टमेंट में ‘ज़ेनिथ कमोडिटीज़ जनरल ट्रेडिंग’ नाम की एक कंपनी की मालिकाना हिस्सेदारी है और एडेल हसन अहमद अलाली नाम का व्यक्ति, कंपनी का इकलौता मालिक है. जुलाई 2020 में ही एडेल हसन कंपनी के निदेशक भी बने हैं।
दुबई में बैठा ये अकेला आदमी कंपनी के 8,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के शेयरों का मालिक है और उन्हें नियंत्रित करता है।
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, अडानी ग्रुप में मॉरीशस कनेक्शन के पता चलने के बाद ओपल इन्वेस्टमेंट ने अपनी वेबसाइट बनाई है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि ओपल इन्वेस्टमेंट की कोई वेबसाइट नहीं थी. लिंक्ड-इन पर कोई कर्मचारी नहीं है और कोई मार्केटिंग रिकॉर्ड भी नहीं है. वेबसाइट पर लिखा है कि कंपनी की प्रमुख गतिविधियां निवेश होल्डिंग और सामान्य व्यापारिक गतिविधियां हैं, मगर उनका निवेश पोर्टफ़ोलियो भी सीमित है. केवल अडानी पावर के शेयरों में ही निवेश किया हुआ है.
अडानी समूह ने साफ़ कहा था कि ओपल इन्वेस्टमेंट उनकी कंपनी नहीं है
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने जब ओपल का ज़िक्र किया था, तब अडानी समूह ने ओपल इन्वेस्टमेंट को अडानी पोर्टफ़ोलियो में सूचीबद्ध कंपनियों में एक स्टेक-होल्डर बताया था. अडानी समूह ने साफ़ कहा था कि ओपल इन्वेस्टमेंट उनकी कंपनी नहीं है. उनके पास उसका स्वामित्व या नियंत्रण नहीं, न ही ओपल इन्वेस्टमेंट के ट्रेडिंग पैटर्न या व्यवहार के बारे में कोई विशेष जानकारी. इसके अलावा ग्रुप ने कहा था,”भारतीय क़ानून के तहत पब्लिक शेयरधारकों के लिए ये ज़रूरी नहीं कि वो धन के स्रोत के बारे में पारदर्शी हों. इसका मतलब है कि समूह को नहीं पता है कि ओपल इन्वेस्टमेंट के पास अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों में शेयर ख़रीदने के लिए पैसा कहां से मिला.”