नई दिल्ली। भारत के दिग्गज कारोबारी और अडानी ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी के फंड की हेराफेरी करने के मामले को करीब से देखने वाले एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में दखल देने की मांग की है. Gautam Adani की कंपनी के साथ काम कर रहे एक पूर्व कांट्रेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में दखल देने की मांग की है. ईबीपीएल वेंचर्स के अजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि वह गौतम अडानी के सरगुजा रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रिकल कांट्रेक्टर का काम काज कर रहे थे, तभी ऐसा देखा गया है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अग्रवाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को सेबी-अडानी मामले में शेयरधारकों की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए. अपनी याचिका में अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने अडानी ग्रुप के लिए एक कांट्रेक्टर की तरह काम किया है और बहुत नजदीक से यह देखा है कि अडानी ग्रुप किस तरह कामकाज करता है और पैसे की हेराफेरी करता है।
अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उसे सेबी-अडानी मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. अग्रवाल ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इसका अनुभव है कि अडानी ग्रुप अपनी एक सहयोगी कंपनी से दूसरी सहयोगी कंपनी में फंड का ट्रांसफर कर कैसे हेराफेरी करता है।
उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप ने सरगुजा रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के समय एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना ली थी और सरगुजा रेल कॉरिडोर का काम उसी के तहत किया जा रहा था. इस कंपनी का नाम सरगुजा रेल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड था. सरगुजा रेल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड ने इलेक्ट्रिकल काम का कॉन्ट्रैक्ट अग्रवाल की कंपनी को दिया था.
अग्रवाल ने कहा कि उनकी कंपनी ने सरगुजा रेल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड के लिए कामकाज किया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में अग्रवाल ने कहा कि Adani ग्रुप के साथ काम करते हुए उन्होंने इसके वर्क कल्चर को काफी करीब से देखा है।
अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा, “साल 2022 में सरगुजा रेल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड को अडानी पोर्ट्स ने खरीद लिया. इस समय अडानी पोर्ट्स ने कहा था कि सरगुजा रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट लिमिटेड उसके ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 5% या ₹450 करोड़ की वृद्धि करने जा रहा है.”
पिछले हफ्ते एक और याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर कहा था कि साल 2014 में DRI के एक अलर्ट की सेबी ने अनदेखी की थी. इस मामले में कहा गया है कि डीआरआई ने साल 2014 में सेबी को एक अलर्ट भेजा था जिसमें कहा गया था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में फंड के डायवर्जन और शेयर बाजार में स्टॉक के भाव में उतार-चढ़ाव पर नजर रखनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से अडानी ग्रुप की कंपनियों में फंड की हेराफेरी और शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव के आरोप की जांच करने के लिए कहा है। साभार।