भोपाल। खंडवा में ओंकारेश्वर बांध के गेट खोलने के बाद नर्मदा में आई बाढ़ में दुकानें, घर और आश्रम बह गए। ओंकारेश्वर में नर्मदा घाट से करीब 50 मीटर दूर तक का इलाका डूब गया। 127 लोगों को रेस्क्यू करना पड़ा। नर्मदा का पानी अब उतर चुका है और हर तरफ तबाही का मंजर है।
लोगों का आरोप है कि बांध के गेट खोलने की सूचना समय पर नहीं दी गई। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का निरीक्षण किया था। CM के सत्कार के कारण प्रशासन ने जानबूझकर बांध का पानी रोका। उनके जाते ही रात में पानी छोड़ दिया। बगैर कोई सूचना के अचानक छोड़े गए पानी की वजह से कई परिवार बेघर हो गए। दुकानदारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।
लोगों के आरोपों को लेकर कलेक्टर अनूप सिंह का कहना है कि यह गलत नेरेटिव फैलाया जा रहा है। बांध से पानी रिलीज करने का प्रोटोकॉल होता है।
बांध से पानी छोड़ते तो रपटा डूब जाता
आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा तक जाने के लिए नर्मदा नदी पर कोई ओवरब्रिज नहीं है। इस पार से उस पार जाने के लिए नर्मदा नदी पर एक रपटा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि बारिश के दौरान ओंकारेश्वर डैम अपनी भराव क्षमता (196 मीटर) के करीब था। प्रशासन ने गेट इसलिए नहीं खुलवाए, क्योंकि पानी में रपटा डूब जाता और CM का काफिला नहीं निकल पाता।
ज्योतिर्लिंग की सीढ़ियों तक आ गया था पानी
ओंकारेश्वर में देश के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक है। शनिवार को यहां नर्मदा का पानी सीढ़ियों तक आ गया था। ओंकारेश्वर बांध के पास ही ब्रह्मपुरी घाट है। यहां रहने वाले नाश्ता दुकान संचालक दिनेश वर्मा का दो मंजिला घर है। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह 9 बजे हमें घर खाली करने की सूचना दी। तब तक पानी हमारे घर के अंदर आ चुका था।
हम अपना सामान भी सुरक्षित नहीं रख पाए। जान बचाने के लिए रिश्तेदार के घर रुके। रविवार सुबह तक एक मंजिल पूरी तरह डूब गई। गृहस्थी का सामान राशन बह गया। इसी घाट पर लोधा लोवंशी अन्न क्षेत्र परमार्थ ट्रस्ट की खिड़की-दरवाजे, राशन, रजाई गद्दे बह गए। ट्रस्ट के रमेश चंद्र लोधा ने बताया कि यहां संन्यासियों को भोजन करवाया जाता है।
पूर्व पार्षद बोले- यह बाढ़ कृत्रिम थी
पूर्व पार्षद मनीष पुरोहित का कहना है, ‘यह कृत्रिम बाढ़ थी। रात में लोग बेफिक्र होकर सोए हुए थे। सुबह उठते ही यहां के मुख्य घाटों को जलमग्न देखा। अंदाजा नहीं था कि घाट से 30 से 40 फीट ऊपर मुख्य मंदिर मार्ग तक नर्मदा का जलस्तर पहुंच जाएगा।’ ओंकारेश्वर के राजा राव पुष्पेंद्रसिंह ने कहा, ‘ये बाढ़ नहीं लोगों का उजाड़ने की साजिश थी।’
CM के जाते ही देर रात छोड़ा पानी
मातृ रक्षा संगठन के रंजीत भंवरिया ने कहा कि आदि शंकराचार्य मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के चलते ओंकारेश्वर बांध प्रबंधन ने लगातार हो रही बारिश के बावजूद बांध के गेट नहीं खोले। पानी को रोक कर रखा। ऐसा शासन के निर्देश पर किया गया। CM का काफिला यहां से रवाना होते ही देर रात 1 बजे से गेट खोलकर पानी छोड़ा गया।
CM के दौरे ने तीर्थनगरी में तबाही ला दी?
कांग्रेस नेता उत्तमपाल सिंह पुरनी का कहना है, ‘मुख्यमंत्री के दौरे को देखते हुए प्रशासन ने ओंकारेश्वर बांध का पानी रुकवा दिया था। उनके जाते ही आधी रात को अचानक पानी छोड़कर तबाही मचा दी गई। मैं खुद मौके पर गया तो रेस्क्यू किए गए लोगों को दोपहर 2 बजे तक भोजन तक नहीं मिला था। इस आपदा की दोषी सरकार, कलेक्टर और NHDC प्रशासन है।