नई दिल्ली। मुंबई में ‘इंडिया’ गठबंधन की तीसरी बैठक के पहले ही दिन सरकार द्वारा संसद विशेष सत्र आहूत करने की घोषणा ने देश के राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह विशेष सत्र 18 सिंतबर से 22 सितंबर तक होगा और इसकी कुल पांच बैठकें होंगी, जिनमें सरकार कुछ अहम विधायी कामकाज निपटाएगी। मोदी सरकार के इस फैसले ने लोकसभा चुनाव इसी साल कराने की अटकलों को बल दे दिया है, क्योंकि विधायी कामकाज के लिए अभी संसद का शीतकालीन सत्र बचा हुआ है और सरकार अपने जरूरी विधेयक उसमें पारित करा सकती है।
सिर्फ विधायी कामकाज के लिए विशेष सत्र बुलाना समझ में न आने वाली बात है। अभी तक संसद के जितने भी विशेष सत्र हुए हैं, आमतौर पर उनमें कोई न कोई विशेष एजेंडा रहा है और उसे सत्र बुलाए जाने के साथ ही सार्वजनिक भी किया जाता रहा है, लेकिन इस बार सरकार ने विशेष सत्र के एजेंडे या मुद्दे को सार्वजनिक नहीं किया है। सत्ता के करीबी सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक देश एक चुनाव के अपने महत्वाकांक्षी सपने को अमली जामा पहनाने के लिए संसद के इस विशेष सत्र में कानून पारित करवा कर दिसंबर में कई राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ लोकसभा चुनावों में भी जा सकते हैं।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले लोकसभा चुनावों में चंद्रयान की चमक और जी-20 की धमक को भाजपा के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन एनडीए का सबसे बड़ा सियासी हथियार बनाकर विपक्ष को मात देना चाहते हैं, लेकिन अगले साल अप्रैल मई में होने वाले लोकसभा चुनावों तक इनसे बना सकारात्मक माहौल कमजोर पड़ सकता है और तब तक विपक्षी गठबंधन इंडिया सरकार के खिलाफ अपनी तैयारी भी ज्यादा मजबूती से कर सकेगा। इसलिए बहुत मुमकिन है कि अपने इन हथियारों की धार कमजोर होने से पहले और विपक्ष को संभलने संवरने का मौका दिए बगैर सरकार लोकसभा चुनाव कुछ जल्दी भी करा सकती है।
अगर ऐसा होता है तो नवंबर दिसंबर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के ही साथ लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। इंडिया गठबंधन के दो प्रमुख नेता नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ऐसी आशंका बार बार जता रहे हैं। जहां तक राम मंदिर के उद्घाटन का सवाल है तो इस पर तो भाजपा का विशेषाधिकार है, इसलिए चुनाव कभी भी हों, इसका राजनीतिक लाभ तो भाजपा को ही मिलना है। फिर अगर लोकसभा चुनाव जल्दी हुए तो भाजपा यह भी कह सकती है कि अगर केंद्र में गैर भाजपा सरकार बनी तो अयोध्या में राम मंदिर का काम रुक जाएगा, इसलिए राम मंदिर का निर्माण समय पर हो इसलिए भी तीसरी बार केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत एनडीए सरकार बननी जरूरी है।