नंबरों पर लाखों रूपयों का भुगतान
भोपाल। भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में प्रायवेट वाहनों के नाम लाखों का घोटाला किया जा रहा है एवं वित्त विभाग के नियमों की खुलकर अवहेलना की जा रही है। हालत ये है कि दोपहिया वाहन के नंबर से बोलेरो गाड़ी का भुगतान लिया जा रहा है। ये सीएमएचओ खुद को सीएम शिवराज सिंह चौहान का खास बताते हैं।
आज पीसीसी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में केके मिश्रा, जेपी धनोपिया और पुनीत टंडन ने पूरे मामले का खुलासा किया। टंडन ने बताया कि मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी भोपाल से सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी चाही गई थी। मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा 5574 रूपये शुल्क जमा होने के आठ माह के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गई। मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश के उपरांत आवेदक को संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी गई और स्वास्थ्य अधिकारी पर जानकारी न देने के अभाव में 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाया गया।
वित्त विभाग के नियमानुसार शासकीय कार्यालयों में मासिक आधार पर वाहन किराये पर लिये जाने हेतु जो नियमावली निर्धारित की गई है उसमें क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में टेक्सी कोटे में रजिस्टर्ड वाहन ही किराये पर लिये जाये एवं जिन अधिकारियों हेतु वाहन किराये पर लिये जा रहे है उन अधिकारियों के मूल पद के ग्रेड-पे के आधार पर वाहन किराये पर लिये जाने हेतु मापदण्ड निर्धारित है, परंतु मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा कार्यालय में जो वाहन किराये पर लगाये गये उसमें 75 वाहनों की सूची प्राप्त हुई, जिसमें आधे से ज्यादा वाहन प्रायवेट कोटे के हैं जो कि परिवहन कार्यालय की साईट पर टेक्सी कोटे में न होकर प्रायवेट नामों से दर्ज हैं जो कि अपने आप में जांच का एक बड़ा विषय है।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा रेवांचल टूर एंड ट्रेवल्स ने बिल 7 दिसम्बर 2021 को भुगतान हेतु 29793 रूपये का बिल मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को दिया, उसमें जो वाहन नंबर एमपी 19 बीए 0310 बुलेरो गाड़ी का बिल दिया गया जो कि मप्र ट्रांसपोर्ट विभाग की सेवा में दर्ज गाड़ी नंबर कंधीलाल सेन सतना के नाम पर दो पहिया वाहन बजाज सीटी 100 दर्ज होना पाया गया है।
इसी तरह 10 जनवरी 2022 को भी 29793 रूपये का बिल पुनः इसी नंबर एमपी 19 बीए 0310 बुलेरो गाड़ी के नाम पर कुल 56804 रूपये का भुगतान किया गया। जो वाहन आज अस्तित्व में ही नहीं है, उनके नंबरों पर हजारों रूपयों का भुगतान होना पाया गया है।
इसी कड़ी में एमपी 04 टी 4533 सिप्ट डिजायर का भुगतान बिल 27011 रूपये का किया गया। उक्त बिल में जो गाड़ी का नंबर दर्शाया गया है, वह आरटीओ विभाग में अब्दुल रशीद भोपाल के आटो रिक्शा के नाम पर दर्ज होकर भुगतान किया गया जो कि अपने आप में एक बड़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है।
इसी प्रकार एक अन्य वाहन एमपी 04 टीबी 1981 का जो बिल 19 मई 2020 को भुगतान हेतु दिया गया, उसमें गाड़ी का नाम बुलेरो गाड़ी बताया गया है, जबकि आरटीओ विभाग की साईट में यह गाड़ी इनोवा किस्टा उमेश त्रिपाठी, रेवांचल टूर एंड ट्रेवल्स के नाम पर दर्ज है। बुलेरो गाड़ी बताकर 90584 रूपये का भुगतान 1 अप्रैल 2020 से 30 अप्रैल 2020 तक एक माह का भुगतान लिया गया, जो कि अपने आप में एक जांच का विषय है कि गाड़ी नाम कुछ और बिल किसी और गाड़ी के नाम से उक्त गाड़िया दर्ज होकर हजारों रूपयें महीने का भुगतान लिया जा रहा है।
इसी प्रकार यूपी 79 टी-7595 डिजायर गाड़ी के नाम पर 52907 रूपये का भुगतान 18 अगस्त 2020 को किया गया, यह वाहन परिवहन विभाग की साईट के नाम पर कहीं भी दर्ज नहीं होना पाया गया, जो कि अपने आप में जांच का विषय है। इसी प्रकार एमएच 01 सीजे 5289 महाराष्ट्र प्रदेश का वाहन मप्र में रेवांचल टूर एंड ट्रेवल्स को 11 अगस्त 2020 को 71571 का भुगतान किया गया, जबकि वाहन मप्र का न होकर महाराष्ट्र का है।
इसी प्रकार एमपी 04 सीआर 5599 स्कारपियों वाहन शुभम मिश्रा के नाम पर परिवहन विभाग की साईट पर दर्ज होना पाया गया है, जो कि टेक्सी कोटे की ना होकर प्रायवेट नाम से दर्ज है, जिसका भुगतान 14 जनवरी 2022 को एक माह का भुगतान 56305 रूपये किया गया। इसी प्रकार एमपी 04 एचबी 2098 स्कारपियों वाहन रमावती सिंह भोपाल के नाम पर परिवहन विभाग की साईट पर प्रायवेट क्लास में दर्ज है, जिसका भुगतान 29792 रूपये किया गया। इसी प्रकार एक अन्य वाहन एमपी 04 बीए 1988 ऋषभ कुमार जैन के नाम से आरटीओ की साईट में प्रायवेट क्लास में दर्ज है, जिसका भुगतान 10 जनवरी 2022 को 29793 रूपये किया गया।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में जो दस्तावेज निकलकर आये हैं, वह अपने आप में चौकाने वाले हैं, विभाग द्वारा मोटर साईकिल, आटो रिक्शा एवं दूसरे प्रदेशों के वाहनों एवं वित्त विभाग के नियम विरूद्ध प्रायवेट नाम से दर्ज वाहनों पर लाखों रूपये का भुगतान सिर्फ भोपाल मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से होना पाया गया है। यदि इसी प्रकार पूरे मप्र के सरकारी कार्यालयों में लगे प्रायवेट वाहनों की जांच की जाये तो कहीं न कहीं यह 100-200 करोड़ रूपये से ऊपर का घोटाल उजागर होगा। सरकार कहीं न कहीं अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए नियम विरूद्ध गाड़िया लगाकर जनता के पैसों का खुलेआम दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि मप्र के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी की नाक के नीचे जब राजधानी जैसी जगह में फर्जी भुगतान से लाखों रूपयों का भ्रष्टाचार हो रहा है तो प्रदेश के अन्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में की क्या स्थिति होगी?