जयपुर। राजस्थान कैडर के एक आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ केंद्र सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। आईएएस अधिकारी का नाम नीरज के. पवन है जो कि वर्तमान में बांसवाड़ा संभाग के संभागीय आयुक्त पद पर कार्यरत हैं जबकि दूसरे आईपीएस अधिकारी का नाम मनीष अग्रवाल हैं जो कि पिछले 3 साल से सस्पेंड चल रहे हैं। इन दोनों अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लंबित थे और अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में थे। अब केंद्र सरकार ने इन दोनों अफसरों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी गई है।
उत्तर प्रदेश के रहने वाले मनीष अग्रवाल 2010 बैच के आईपीएस हैं। पहले उन्हें जम्मू कश्मीर कैडर मिला था लेकिन बाद में राजस्थान की एक महिला अधिकारी से शादी करके उन्होंने अपना कैडर जम्मू कश्मीर से राजस्थान करवा लिया था। जुलाई 2020 में इन्हें दौसा जिले का एसपी लगाया था। उन दिनों दिल्ली मुम्बई एक्सप्रेस वे का कार्य हो रहा था जो दौसा से होकर गुजर रहा था। एक्सप्रेस वे का निर्माण करने वाली कंपनी से निर्माण की एवज में घूस लेने के मामले में एसीबी ने दो आरएएस अफसरों और कुछ दलालों को गिरफ्तार किया था। घूस के इसी मामले में दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया था। जेल जाने के बाद से मनीष अग्रवाल सस्पेंड चल रहे हैं। अब उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिली है।
नीरज के पवन की मुश्किलें बढ़ी
आईएएस नीरज के. पवन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला वर्ष 2014-15 का है। भ्रष्टाचार का यह मामला राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 6 जिलों में मनोरोग विशेषज्ञ, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकेट्रिक सोशल वर्कर, साइकेट्रिक नर्स, मॉनिटरिंग एंड ई-वैल्यूएशन ऑफिसर, केस हिस्ट्री असिस्टेंट और कम्यूनिटी नर्स के पदों पर भर्तियां होनी थी आरोप है कि नीरज के पवन ने फर्जी तरीके से रिश्तेदारों और चहेतों को नौकरियां दे दी थी।
। इस मामले में एसीबी ने 3 पूर्व अधिकारियों सहित 5 जनों को गिरफ्तार कर चुकी है। कुल 56 लोगों को नौकरियां दी गई थी जिनमें 25 के दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। यानी वे पात्रता के समकक्ष नहीं थे, इसके बावजूद उन्हें नौकरियां दे दी गई। इस मामले में अब नीरज के पवन के खिलाफ मुकदमा चलेगा।