शिमला
पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के बीच मचे घमासान के बाद हिमाचल प्रदेश भी विवाद में कूद पड़ा है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सवाल उठा दिया है कि वह पानी के बदले राज्य को क्या मिल रहा है? सुक्खु ने कहा कि पानी के लिए पंजाब और हरियाणा लड़ रहे हैं, लेकिन यह उन्हें हिमाचल से मिल रहा है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कार्यक्रम के दौरान राज्यों के बीच पानी के बंटवारे का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों को पानी का अधिकारपूर्ण हिस्सा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पानी हिमाचल प्रदेश का सबसे कीमती पाकृतिक संसधान है। राज्य 12000 मेगावाट बिजली पैदा करता है, फिर भी हिमाचल को इसमें क्या मिला है? एसजेवीएनएल 6700 करोड़ की कंपनी बन चुकी है, लेकिन हमें यह पूछने की जरूरत है कि हिमाचल को क्या मिला? पंजाब और हरियाणा पानी पर लड़ रहे हैं, लेकिन यह हिमाचल से बह रहा है। हमें बदले में क्या मिल रहा है?’
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार के सामने मौजूद वित्तीय चुनौतियों का भी जिक्र किया और कहा कि पुरानी सरकार से उन्हें यह विरासत में मिली है। उन्होंने कहा, ‘जब हमने राज्य में सरकार बनाई तो विरासत में 75 हजार करोड़ का कर्ज और कर्मचारियों के 10 हजार करोड़ बकाया था। अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए हमने मजबूत फैसले लिए। ईमानदार और पारदर्शी शासन से हमने पिछले ढाई साल में 2500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व हासिल किया। हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है।’
पानी विवाद तब शुरू हुआ, जब ‘आप’ शासित पंजाब ने भाजपा शासित हरियाणा को और अधिक पानी देने से इनकार कर दिया और दावा किया कि हरियाणा ने ‘मार्च तक अपने आवंटित हिस्से का 103 प्रतिशत पानी पहले ही इस्तेमाल कर लिया है।’ इसके बाद दिल्ली की भाजपा सरकार ने भी अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को निशाने पर लिया। भाजपा सरकार ने कहा कि दिल्ली में हार का बदला लिया जा रहा है। हाल ही में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने हाल में हरियाणा को अतिरिक्त 4,500 क्यूसेक पानी आवंटित करने का निर्णय किया था।
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