नई दिल्ली। बीते कुछ दिनों से कांग्रेस एकदम से अपनी रणनीतिक तैयारियों के लिहाज से आक्रामक हो गई है। पार्टी के भीतर सभी कील कांटे दुरुस्त करने के साथ-साथ आला कमान ने अब अपने उन आक्रामक नेताओं को भी आगे करना शुरू कर दिया है जिसके माध्यम से पार्टी एक बड़ा संदेश देने की तैयारी कर रही है। यह संदेश न सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं को मजबूती से सियासी मैदान में डटने का है बल्कि विपक्षी दलों के गठबंधन के नेताओं को भी अपनी मजबूत तैयारी के लिए भी है। पार्टी ने इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के अपने दलित अध्यक्ष चेहरे को बदलकर पार्टी के चर्चित चेहरे अजय राय को अध्यक्ष बनाया है। जबकि कर्नाटक में सियासी रणनीति के माध्यम से सरकार बनवाने वाले रणदीप सुरजेवाला को मध्य प्रदेश का इंचार्ज बनाया है।
वही कांग्रेस आलाकमान के करीबी चेहरों में शामिल और राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मुकुल वासनिक को भी गुजरात का प्रभारी बनाया गया है।
मानसून सत्र की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस ने अपनी आक्रामकता को जो धार देनी शुरू की वह गुरुवार को अपने उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष को बदलने के साथ एक कदम और आगे बढ़ गई। दरअसल कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक तौर पर और जातिगत समीकरणों के लिहाज से एक बड़ा कदम उठाया है। कांग्रेस ने दलित चेहरे के तौर पर आगे करके प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए बृजलाल खाबरी को हटाकर पार्टी के कद्दावर नेता अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। अजय राय उत्तर प्रदेश के खास तौर से पूर्वांचल में भूमिहारों के बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। अजय राय कांग्रेस से पहले भारतीय जनता पार्टी के तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र दीक्षित कहते हैं कि अजय राय को कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर न सिर्फ एक बड़ा दांव खेला है बल्कि उनके चेहरे पर वह पूर्वांचल में बड़ा नैरेटिव भी सेट किया है।
कांग्रेस ने अपनी इसी आक्रामकता को धार देते हुए अपने उसे रणनीतिकारों को भी संगठनात्मक स्तर पर बड़ी जिम्मेदारियां देनी शुरू की है जिन्होंने बीते चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया है। इस कड़ी में रणदीप सुरजेवाला को मध्यप्रदेश में प्रभारी बनाकर पार्टी ने उनके कर्नाटक की रणनीति वाला दांव चलने की सियासी बिसात बिछा दी है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक देवेंद्र प्रधान कहते हैं कि रणदीप सुरजेवाला को कांग्रेस एक बड़े आक्रामक चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है।
क्योंकि कर्नाटक चुनाव और उससे पहले हिमाचल के चुनाव में सुरजेवाला ने सियासी तौर पर बड़ी सधी हुई पारी खेली।थी। यही वजह है कि पार्टी ने उनकी छवि को सियासी तौर पर मध्य प्रदेश में बनाने के लिए आगे किया है। प्रधान कहते हैं कि दो दिन पहले सुरजेवाला की हरियाणा में की गई एक टिप्पणी को लेकर विपक्षियों ने बड़ा हमला भी किया था। इस हमले के बाद सुरजेवाला को बड़ी जिम्मेदारी के साथ मध्य प्रदेश में उतार कर पार्टी ने एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है।