चिकन पॉक्स (Chicken pox) या छोटी माता बच्चों में होने वाला आम रोग है. यह आमतौर पर दो से छह वर्ष के आयु वर्ग में होता है. वयस्क लोग इस रोग के संक्रमण से कदाचित ही ग्रसित होते हैं. यह रोग आमतौर से महामारी के रूप में फैलता है.
चिकन पॉक्स का कारण
चिकन पॉक्स एक प्रकार के सूक्ष्म विषाणु द्वारा फैलता है, जिसे विशेष प्रकार के माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है. इस सूक्ष्म विषाणु का नाम वरिसेला जॉस्टर (Vericella Zoster virus) है. हवा में नमी द्वारा इसके विषाणु एक जगह से दूसरी जगह जाकर यह बीमारी तेजी से फैला देते हैं.
चिकन पॉक्स के लक्षण
जब कोई बच्चा चिकन पॉक्स से ग्रस्त हो जाता है, तो उसके शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकलते हैं. ये दाने फफोलों की तरह होते हैं और इनमें साफ तरल पदार्थ भरा रहता है. व्यावहारिक रूप से इस रोग के कोई विशेष पूर्वसूचक लक्षण नहीं होते, केवल 24 घंटे के लिए हल्का-सा बुखार आता है और शरीर पर दाने उभर आते हैं. लगभग तीन दिन तक ये दाने शरीर पर उभरते रहते हैं. इसके बाद ये दाने दूधिया रंगत लेने लगते हैं. इन तीन दिनों के अंत तक इनका विभिन्न अवस्थाओं में विकास और क्षय होता रहता है. चिकन पॉक्स के फफोले शरीर के ढके भागों के अलावा चेहरे, हाथ-पैरों पर, यहां तक कि मुंह में स्थित श्लेष्मल झिल्ली पर भी देखे जा सकते हैं.
जब तक चिकन पॉक्स के फफोलों में द्रव पदार्थ भरा रहता है, तब तक बीमारी के फैलने का खतरा बना रहता है, क्योंकि इस तरल पदार्थ में चिकन पॉक्स (छोटी माता) के विषाणु रहते हैं और खुजलाने से ये फफोले फूट जाते हैं. इससे इस बीमारी के विषाणु मुक्त होकर दूसरे बच्चों में संक्रमण फैलाते हैं.
इस रोग में ऐसा महसूस नहीं होता कि रोगी बहुत ज्यादा बीमार है. बुखार भी 102° फा. (39° सी.) से शायद ही कभी ऊपर जाता हो. फिर भी कभी-कभी रोगी की भूख मर जाती है और वह थकान महसूस करता है. चिकन पॉक्स बहुत अधिक समय तक नहीं रहता. चार-पांच दिन के बाद ही फफोले सूख जाते हैं और उनके स्थान पर छोटे-छोटे खुरंड बन जाते हैं. इन खुरंडों के खुरचने से बीमारी के फिर से फैलने का डर नहीं रहता. कुछ मामलों में ये 10 दिनों से 3 सप्ताह तक रह सकते हैं ऐसे में इसका सही उपचार कराना चाहिए.
किसी भी व्यक्ति को चिकन पॉक्स जीवन में एक बार से अधिक नहीं होता. एक बार हो जाने पर शरीर में इस रोग के प्रति रोधता उत्पन्न हो जाती है और इसका दुबारा संक्रमण नहीं होता.
चिकन पॉक्स के रोगी का परहेज
चिकन पॉक्स से ग्रस्त रोगी को घर के अन्य सदस्यों से अलग कमरे में रखना चाहिए. उसे इस दौरान बहुत हल्का भोजन देना चाहिए. गर्म मसालेदार खाना नही देना चाहिए. रोग के ठीक हो जाने के बाद ही उसे घर के अन्य कमरों आदि में जाने देना चाहिए, ताकि रोग संक्रमण न हो सके.