कुछ पदार्थों विशेषकर प्रोटीनों के प्रति शरीर की असाधारण संवेदनशीलता को एलर्जी (Allergies) कहते हैं. हे-फीवर (परागज ज्वर), त्वचा पर चकत्ते पड़ना, किसी खास प्रकार के इंजेक्शन की प्रतिक्रिया और कुछ प्रकार के दमा रोग मनुष्य में होने वाली एलर्जी के कुछ उदाहरण हैं.
हमारे वातावरण में प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाले अनेक पदार्थों के असंख्य कण मिलते हैं इन पदार्थों को एलर्जी के रूप में जाना जाता है जो अधिकतर लोगों के लिए हानिकारक नही होते. एलर्जी उत्पन्न करने वाले ये पदार्थ पराग या धूल कणों के साथ नाक या आंखों द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ये पदार्थ वेक्सीन के सीरम द्वारा पेनिसिलीन जैसे एंटीबायोटिक या दवाओं या भोज्य पदार्थों द्वारा भी शरीर में पहुंच जाते हैं. कुछ व्यक्ति मक्खी या मधुमक्खी के काटने, पालतू जानवर, परागकण, कीड़े, फफूंद या पक्षियों के पंखों के संपर्क में आने भी एजर्ली का शिकार हो जाते हैं.
एलर्जिक प्रतिक्रिया जिन पदार्थों के कणों से होती है, उन्हें एलरजेन अथवा एटिजेन कहा जाता है और उत्तेजन की प्रक्रिया के दौरान शरीर में बनने वाले पदार्थों को एंटीबॉडीज कहते हैं. यद्यपि एंटीबॉडीज यानी रोग प्रतिकारक हमारे शरीर की संक्रमण से सुरक्षा करते हैं, लेकिन एलर्जी के रूप में ये ही कण शरीर में अप्रिय प्रतिक्रिया उत्पन्न कर देते हैं. कुछ एलर्जिक प्रतिक्रियाएं विकसित होने में कुछ समय लेती हैं, जबकि कुछ एलर्जिक प्रतिक्रियाएं इतनी तीव्रगति से असर करती हैं, जिससे तुरंत बेहोशी-सी छा जाती है. शरीर का रक्त-चाप गिर जाता है, सांस लेने में कष्ट होता है और शरीर नीला पड़ जाता है.
ऐसा विश्वास है कि एलर्जिक पदार्थ के कण रोग प्रतिकारक से संयोजन करते हैं और शरीर में ‘हिस्टामिन’ नामक पदार्थ मुक्त करते हैं. यह हिस्टामिन रक्त या शरीर के किसी भाग में संपर्क कर चकत्ते, खुजली या सूजन पैदा करते हैं. इसी सिद्धांत के आधार पर ‘एंटी हिस्टामिन’ औषधि का निर्माण किया गया है जो कई प्रकार की एलर्जिक प्रतिक्रिया के इलाज में दी जाती है. सबसे पहली एंटी हिस्टामिन औषधि ‘फिरिलामिन मेलिएट’ (Phyrilamine maleate) थी. अब तो इस प्रकार की अनेक औषधियों का निर्माण हो चुका है. ये औषधियां अपनी रासायनिक संरचना द्वारा हिस्टामिन के प्रभाव को बढ़ने से रोकती हैं.
एंटी हिस्टामिन औषधियां हे-फीवर, दमा, त्वचा के चकत्ते, टीका (वेक्सीन) और मधुमक्खी आदि के डंक से होने वाली एलर्जी से मुकाबला करती हैं. वैज्ञानिक तीव्र गति से होने वाली एलर्जिक क्रिया को रोकने के लिए अब तक कोई प्रभावशाली औषधि नहीं बना पाए हैं. रासायनिक पदार्थों के संयोजन से आजकल कुछ ऐसी प्रतिकारक संवेदनशील वस्तुएं भी बनने लगी हैं, जो एलर्जी उत्पन्न करती हैं. इस प्रकार की एलर्जी से बचने के लिए किसी प्रभावशाली उपचार की आवश्यकता है.
वातावरण में मौजूद एलर्जिक रोग फैलाने वाले आरोप्य कण पदार्थों पर नियंत्रण करने के लिए बुद्धिमानी इसी में है कि ऐसे पदार्थों से दूर ही रहा जाए.
अब प्रश्न यह उठता है कि एक व्यक्ति एलर्जी से पीड़ित हो जाता है, दूसरा नहीं, जबकि वातावरण में एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ सभी के लिए मौजूद हैं. किस व्यक्ति को किस पदार्थ से एलर्जी है इसका पता एलर्जिक जांच द्वारा लगाया जाता है.