हम सभी जानते है कि मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है. पक्षियों में मोर सबसे सुंदर पक्षी है। मोर का नाचना शायद प्रकृति का सबसे मनोरम दृश्य है. क्या तुम जानते हो कि नाचते समय मोर अपने पंखों का प्रदर्शन क्यों करता है?
मोर के पास पंखों की एक श्रृंखला होती है, जिसका प्रदर्शन वह सहवास के मौसम में करता है. वह अपने नाच से बहुत-सी मोरनियों को आकर्षित कर लेता है, पर विचित्र बात यह है कि जब भी कोई मोरनी उसके पास पहुंचती है, तो वह पीठ फेर लेता है. इस अनोखे व्यवहार का कारण अभी तक कोई नहीं जान पाया है, किन्तु यह सत्य है कि मोर मोरनी को मोहित करने के लिए ही नाचता है.
मोर की किस्में
मोर फसिअनिडेई (Phasianidae) कुल का सदस्य है. नर मोर को मोर (Peacock) और मादा को मोरनी (Peahen) कहते हैं, तथा सामान्य रूप से दोनों मोर (Peafowl) कहलाते हैं. मोर की दो किस्में होती हैं. एक भारत और श्रीलंका में पाई जाती है. इसका रंग नीला होता है. इसकी दूसरी किस्म दक्षिणी पूर्व एशिया में मिलती है. इसका रंग हरा होता है. वास्तविकता तो यह है कि मोर एशिया और ईस्ट इंडोजा का मूल पक्षी हैं. यहाँ से यह दुनिया के दूसरे हिस्सों में पहुंचा है. भारतीय पौराणिक कथाओं में हंस के साथ मोर को भी देवी सरस्वती जी (विद्या और कलाओं की देवी) का वाहन माना जाता है.
दोनों किस्मों के मोरों का शरीर लगभग 75 सेमी. लंबा होता है. इसकी पूंछ में लगभग 150 सुंदर पंख होते हैं. पूंछ खूबसूरत पंखों की बनी होती है. नाच के समय यह पूंछ उठा लेता है और उसे आगे ले आता है और पूरे शरीर के चारों तरफ पंखों को फैला लेता है, तब वह फुदकता है, घूमता है, तरह-तरह की आवाजें निकालता है और जोर-जोर से चीत्कार भरता है.
नीले मोर के शरीर का रंग दरअसल चमकदार नीला हरा होता है. हरे मोर के शरीर का रंग हरा और तांबई होता है. दोनों किस्मों की मोरनियों के शरीरों का रंग हरा और ब्राउन होता है. मोरनी के पंखों को लड़ी नहीं होती है. इसके सिर पर कलंगी भी नहीं होती है.
मोर खुले में या मैदानी जंगलों में रहते हैं. दिन में ये इकट्ठे हो जाते हैं और रात में ऊंचे पेड़ों पर बसेरा करते हैं. हरेक नर-मोर के पास लगभग पांच मोरनियों का एक ‘हरम’ होता है. एक मोरनी चार से आठ तक सफेद अंडे देती है. मोर आम्निवोरस (Omnivorous) होते हैं, यानी वे पौधे और जीव-जंतु दोनों को खाते हैं.