सैप्रोफाइट ऑरकिडस अपना भोजन मृत जीव-जंतुओं के शवों से प्राप्त करते हैं
समस्त जंतु वर्ग अपने भोजन के लिए दूसरे जंतुओं पर या पौधों पर निर्भर रहता है. अधिकांश पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) क्रिया से स्वयं ही बनाते हैं. परंतु बहुत से पौधे ऐसे भी हैं, जो क्लोरोफिल के अभाव में अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते, इसलिए वे अपना भोजन दूसरे पौधों से या मरे हुए जीव-जंतुओं से प्राप्त करते हैं. जो पौधे मृत पशुओं से भोजन प्राप्त करते हैं, सैप्रोफाइट (Saprophytes) कहलाते हैं और वे जो दूसरे पौधों से भोजन लेते हैं, पैरासाइट (Parasites) कहलाते हैं.
सैप्रोफाइट जीव-जंतुओं के शवों के सड़ने की प्रक्रिया को तेज करते हैं, क्योंकि ये इनमें से भोज्य तत्व खींचकर हजम कर लेते हैं. इस तरह ये धरती को साफ करने में मदद देते हैं. इस श्रेणी में फफूंद और वैक्टीरिया आते हैं, इनमें क्लोरोफिल नहीं होता. इसी कारण ये अपना भोजन खुद नहीं बना पाते. कुछ फूल वाले पौधे भी सैप्रोफाइट होते हैं.
पैरासाइट पौधे जैसा कि ऊपर बताया गया है, वे पौधे है, जो अपना भोजन खुद नहीं बनाते, बल्कि दूसरे पौधों से प्राप्त करते हैं. ये पौधे पानी और भोजन उन पौधों से प्राप्त करते हैं, जिन पर निर्भर होते हैं. इन पौधों के शरीर में हास्टोरिया नाम के विशेष अंग होते हैं, जो इन्हें मेजवान पौधे के शरीर से भोजन खींचने की सुविधा प्रदान कराते हैं. इनमें कुछ पौधे कई तरीकों से मेजबान पौधों से जुड़े होते हैं, पर कुछ का केवल एक ही स्थान पर संबंध होता है. कोई भी पैरासाइट किस सीमा तक अपने मेजबान पौधे पर निर्भर करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस श्रेणी की वनस्पति का पौधा है. अमरवेल, खसखस या कैसीथा ऐसे पौधे हैं, जिनमें क्लोरोफिल बिल्कुल नहीं होता, इसलिए ये पूरी तरह अपने भोजन के लिए अपने मेजबान पौधे पर निर्भर करते हैं. अमरबेल जो एक प्रसिद्ध पैरासाइट है, पतली डोरी की भांति दिखता है. इसका रंग पीला या लाल होता है. जब अमरवेल का बीज फूटता है, तो इसका पौधा मेजबान पौधे की तलाश में चक्राकार रूप में बढ़ता है. मेजबान पौधे को पाते ही इस पौधे की पतली डोरी मेजबान पौधे की टहनी पर लिपटना शुरू कर देती है और अपना भोजन प्राप्त करने लगती है. दंतिमूल और भुइफोड़ ऐसे पैरासाइट पौधे हैं, जो मेजबान पौधे की डाली से भोजन न लेकर उसकी जड़ से भोजन लेते हैं. इसके साथ-साथ ये अमरबेल की तरह दिखाई नहीं देते, क्योंकि इनकी जड़ें जमीन के अंदर होती हैं.
आंशिक पैरासाइट का सुपरिचित उदाहरण मिसलटो नामक पौधा है, जो पेड़ों पर डालियों के गुच्छों की तरह पनपता है. इसमें एक प्रकार का चूसकांग होता है, जो मेजबान पेड़ की डालियों से जुड़ कर अपना भोजन चूसता रहता है. यह अपना भोजन तो प्रकाश संश्लेषण से बना सकता है, पर इसे पानी और भोज्य तत्व पेड़ से लेने पड़ते हैं.
मॉस और लाइकेन भी स्वभाव से पैरासाइट हैं. ये पेड़ों की छाल पर चिपक जाते हैं और उनसे भोजन प्राप्त करते हैं. सुमात्रा का रैपलेसिया आर्नोल्डी भी एक प्रसिद्ध परोपजीवी पौधा है.