औद्योगिक क्रांति के कारण विज्ञान और तकनालॉजी में ही नहीं वरन् अन्य क्षेत्रों में भी बड़े-बड़े परिवर्तन हुए. इन परिवर्तनों के कारण बहुत सी सामाजिक बुराइयों और समस्याओं का भी जन्म हुआ
यद्यपि लाखों वर्षों से धरती पर मानव का अस्तित्व रहा है, किन्तु उसके जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन पिछले दो सौ वर्षों से ही हुए हैं. ये परिवर्तन मुख्य रूप से मशीनों के आविष्कार और विकास के परिणामस्वरूप हुए है, मानव इतिहास के इन दो सौ वर्षों के काल को औद्योगिक क्रांति का युग कहा जाता है.
इंग्लैंड के औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सन् 1750 के आसपास हुई थी. इन दिनों मानव और पशुओं द्वारा किए जाने वाली चौजों के उत्पादन और खेती संबंधी कुछ कार्य मशीनों द्वारा होने लगे थे. वास्तव में मशीन का पदार्पण औद्योगिक क्रांति की शुरुआत थी.
मशीन युग इतना महत्वपूर्ण था कि इसने मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को किसी न किसी रूप में प्रभावित करना आरंभ कर दिया था. इससे पहले मनुष्य हल, वायु, पंप, प्रिंटिंग प्रेस और चरखा जैसी मशीनें प्रयोग में लाता था. लेकिन नयी मशीनों के आविष्कार के साथ-साथ उसने इन्हें चलाने के लिए भाप की शक्ति का आविष्कार भी कर लिया, इस शक्ति के प्राप्त होने के बाद उसने बड़ी-बड़ी फैक्टरियां स्थापित करनी शुरू कर दी. फैक्टरियों का निर्माण उन स्थानों पर शुरू हुआ जहां कच्चा माल आसानी से मिल जाता था. ये बाजारों के पास होती थीं, ताकि इनमें बना माल आसानी से बिकने के लिए बाजारों में जा सके.
जैसे-जैसे मशीनों का उपयोग बढ़ा वैसे ही वैसे लोहे भाप की आवश्यकता भी बढ़ने लगी. इससे कोयला निकालने की विधियों में भी उन्नति होनी शुरू हुई. जैसे-जैसे माल का उत्पादन बढ़ने लगा, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए यातायात के तरीकों में भी विकास होने लगा. यातायात की सुविधा के लिए अच्छी सड़कों, नहरों, रेल की पटरियों, जलयानों आदि का विकास भी स्वाभाविक था.
जैसे-जैसे मनुष्य ने संसार के सभी बाजारों में व्यापार बढ़ाना शुरू किया, वैसे ही वैसे उसे अच्छी संचरण व्यवस्थाओं की आवश्यकता महसूस हुई. इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए टेलीफोन और तार पद्धतियों का आविष्कार और विकास हुआ. फैक्टरियों के विकास और महंगी मशीनों के बढ़ जाने से घरेलू उद्योग लगभग समाप्त हो गए. फैक्टरियों और मिलों में काम करने के लिए लोग नौकरी के लिए घर छोड़कर बाहर जाने लगे. इस प्रक्रिया में श्रम विभाजन आवश्यक हो गया और प्रत्येक मनुष्य किसी एक विशेष क्षेत्र में दक्षता प्राप्त करने की कोशिश करने लगा.
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप ही उत्तम और सस्ती वस्तुओं का बहुत बड़ी संख्या और मात्रा में निर्माण संभव हो सका.
सन् 1815 के बाद फ्रांस, बेलजियम, स्विट्जरलैंड और जर्मनी में मशीनों और भाप की शक्ति का उपयोग होना शुरू हुआ. इसके बाद अंत में रूस ने बड़े पैमाने पर औद्योगिक क्रांति को अपनाया. अमेरिका ने इंग्लैंड से स्वतंत्रता पाने के बाद सन् 1800 के आस-पास औद्योगीकरण को अपनाना शुरू किया. एशिया में जापान पहला राष्ट्र था जिसने मशीनों और भाप की ऊर्जा को इस्तेमाल करना शुरू किया.
औद्योगीकरण के फलस्वरूप शहरों में बड़े-बड़े कारखाने लगाये गए. इन कारखानों में काम करने के लिए दूर-दूर के गांवों से लोग आकर शहरों में बसने लगे. इसके कारण गांवों के छोटे उद्योगों का विकास रुक गया और शहरों में आबादी बढ़ने लगी. औद्योगिक क्रांति के कारण जहां आज मनुष्यों को तरह-तरह के लाभ हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मिट्टी, जल, वायु आदि का प्रदूषण बढ़ रहा है. इससे गांवों और वहां के छोटे उद्योगों को भी नुकसान पहुंचा है. शहरों में स्वास्थ्य, सफाई, और
रहने के लिए मकानों की समस्यायें बढ़ती जा रही हैं. आरंभ के प्रथम 50 वर्षों में इंग्लैंड संसार के औद्योगिक देशों में अग्रणी रहा. सन् 1815 के बाद फ्रांस, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और जर्मनी में भी मशीनों का इस्तेमाल शुरू हो गया. रूस में औद्योगीकरण सबसे आखिर में आरंभ हुआ. अमेरिका में औद्योगीकरण स्वतंत्रता के बाद लगभग सन् 1800 में आरंभ हुआ. एशिया में सबसे पहले औद्योगीकरण शुरू करने वाला देश जापान था.
औद्योगिक क्रांति से पहले अधिकतर जनसंख्या गांवों में रहती थी लेकिन औद्योगीकरण के बाद काया ही पलट गई. लोगों ने शहरों में जाकर रहना शुरू कर दिया. इससे शहरों में सफाई, स्वास्थ्य और रहने की समस्याएं जटिल होने लगीं. इसमें संदेह नहीं कि औद्योगीकरण के ही कारण संसार के देश एक दूसरे के नजदीक आए हैं, किंतु इसने मानव जीवन में कठिनाइयों और अनेक बुराइयों को भी जन्म दिया है.