कुछ पौधों की जड़ें भोज्य पदार्थ के एकत्रित हो जाने फूल जाती हैं. तब ये सब्जियों की तरह खाई जा सकती हैं. वे पौधे जिनकी जड़ें इस तरह की होती हैं कंद-मूल की उपज कहलाते हैं.
कंद-मूल लंबे अरसे से भोज्य पदार्थों के रूप में पैदा किए जाते रहे हैं. ये पौधे विभिन्न पदार्थ धरती से खींच लेते हैं. इसलिए ये उपज के चक्र को सुव्यवस्थित करने में भी उपयोगी सिद्ध होते हैं.
चुकंदर एक ऐसी ही जड़ है, जिसे मुख्य रूप से पकाकर खाया जाता है. यह मुख्य भोजन के साथ या सूप के रूप में परोसा जाता है, चुकंदर का पाउडर चटनियों को लाल रंग देने के काम आता है.
गाजर भी एक महत्वपूर्ण जड़ है. यह कई रंगों की होती है. इनमें बहुत अधिक मात्रा में कैरोटीन होता है. यह ताजी भी खाई जाती है और इसकी सब्जी भी बनती है. कहीं-कहीं इनको सुखाकर भी खाया जाता है.
मूली बहुत स्वादिष्ट मूल है. सफेद या लाल मूली कच्ची ही हाजमे के लिए खाई जाती है और इनका सलाद भी बनता है.
शलगम लाल भी होता है और सफेद भी. स्वाद में इनके कोई फर्क नहीं होता. इसकी एक किस्म बिल्कुल गोल होती है. पर दूसरी थोड़ी चपटी और लंबी. दोनों की सब्जी भी बनती है और सलाद के काम भी आती है.
मीठे आलू का गूदा पीलापन लिए होता है और अपने मिठास के कारण पसंद किया जाता है. इनकी सब्जी बनती है और ये सुखाकर भी रखे जाते हैं.
कुछ जमीन के अंदर पैदा होने वाली जड़ें भी सब्जियों के काम आती हैं. आलू, टैरो, रतालू, जमीकंद इनमें से प्रमुख हैं. इनकी सब्जी भी बनती है और ये सुखा कर भी खाए जाते हैं.
जमीन के अंदर ही कुछ कंद भी पैदा होते हैं. लहसुन, प्याज या लीक खाने के काम आती है. लहसुन, सूप, चटनियों, अचारों और सलाद में गंध देने के काम आता है. लीक सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने के लिए उनमें डाली जाती है. प्याज सलाद में पड़ती है और सब्जियों में भी डाली जाती है.
इस तरह हम पाते हैं कि कंद-मूल बहुत उपयोगी भोज्य पदार्थ हैं.