मनुष्य प्राचीन काल से ही समय मापने के लिए अलग-अलग तरह की घड़ियों का इस्तेमाल करता आया है प्राचीन काल की घड़ियों में अधिक प्रामाणिकता नहीं थीं, परंतु आज के वैज्ञानिकों ने बहुत हो उच्च स्तर की घड़ियों का विकास कर लिया है, जिनसे छोटी से छोटी समय की गति को मापा जा सकता है. सामान्य तौर पर प्रयोग में आने वाली आधुनिक पड़िया तीन प्रकार की हैं 1. चाबी से चलने वाली पड़ियों, 2 विद्युत से चलने वाली घड़ियां और 3. इलेक्ट्रोनिक पड़ियां चाबी वाली घड़ियां स्प्रिंग से चालती है, विद्युत घड़ियां बेट्री से और इलेक्ट्रोनिक घड़ियों (Quartz) से.…
Author: Shailja Dubey
जिन ध्वनियों को हम रोज सुनते हैं, वे सभी स्टीरिओफोनिक (Stereophonic) होती हैं. हमारे दो कान हैं और दोनों कानों में आने वाली ध्वनियों में थोड़ा-सा अंतर होता है. उनके पहुंचने का समय तथा तीव्रता में कुछ अंतर अवश्य होता है. प्रत्येक कान में ध्वनि के पहुंचने के समय तथा उनकी तीव्रता का अंतर हमारा मस्तिष्क पता कर लेता है. हमारा मस्तिष्क एक सेकेंड के एक हजारवें भाग का अंतर पता लगा सकता है. अब यदि किसी के सामने दो माइक्रोफोन रख दिए जाएं, तो इन तक आने वाली ध्वनियों की तीव्रता और पहुंचने के समय में कुछ न कुछ…
कुत्ता मनुष्य का बहुत ही वफादार दोस्त माना जाता है. शायद मानव ने इस जानवर को ही सबसे पहले पालना किया था. यह जानवर हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है. मनुष्य को काटकर यह कई प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट तथा फंगस से फैलने वाले रोंगों का निमित्त बना सकता है. कुत्ते के काटने से बहुत से बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिनसे क्षय रोग, स्पलेनिक फोवर, स्कारलेट फीवर, डिप्थीरिया आदि भयंकर रोग पैदा हो सकते हैं. कुत्तों के साथ सैलमोनेला एंटरिटिडिस तथा…
घरेलू मक्खी (Domestica) सभी कीड़ों तुलना में सबसे अधिक पाई जाती है. हमारे स्वास्थ्य के लिए शायद यह सबसे अधिक खतरनाक है विशेषकर उन देशों में जहां सफाई संबंधी स्थितियां अच्छी नहीं होतीं. मक्खी का शरीर हल्का भूरा और रोएंदार होता है. इसकी लंबाई लगभग 7 मिमी. होती है. इसकी दो लाल रंग की आंखें होती हैं. यह मुंह से काट नहीं सकती. इसका मुंह दो स्पंजी गद्दियों से बना होता भोजन करने का इसका तरीका बहुत विचित्र होता है. पहले यह लार तथा अन्य पाचक रस भोजन पर टपकाती है. इस रस से जो घोल बनता है, उसे यह…
पेंनगुइन (Penguin) स्फेनिस्सिफोर्स (Sphenisciformes) प्रजाति के बहुत विचित्र समुद्री पक्षी हैं. ये अत्यंत ठंडे प्रदेशों में रहते हैं. इनके विषय में सबसे विचित्र बात यह है कि ये आदमी की तरह पैरों पर सीधे खड़े हो सकते हैं. पेंगुइन पक्षी के पाए जाने वाले स्थान कुछ लोगों का मत है कि यह अनोखा पक्षी जहां भी ठंडा मौसम होता है, वहीं पाया जाता है, लेकिन यह धारणा गलत है, ये केवल धरती के दक्षिणी गोलार्ध में मिलते हैं, ये एंटार्कटिक महाद्वीप और टापुओं पर रहते हैं. ये अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, और दक्षिणी अमेरिका के ठंडे दक्षिणी समुद्र तटों पर भी…
अफ्रीका का शुतुरमुर्ग (Ostrich) सबसे बड़ा पक्षी है. यह अपने विशाल आकार के कारण बिल्कुल भी उड़ नहीं सकता. यह 2.4 मी. ऊंचा तथा वजन में 133 किग्रा. तक होता है. भारी वजन के कारण यह अपना शरीर हवा में उठा नहीं पाता. हम आपको बताते है शीर्ष 7 सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षियों की सूची के बारे में सबसे अधिक पंखों के विस्तार वाले पक्षियों के दो समूह हैं: एलबेट्रॉस (Albatross) और गिद्ध (Condors) ये दोनों ही उड़ सकते हैं. इन दोनों का वजन लगभग 13.5 किग्रा. होता है. 1. सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षियों की सूची में एलबेट्रॉस पहले…
हम यह भली भांति जानते हैं कि धातु के तारों द्वारा विद्युत एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से जा सकती है. प्रकाश भी ठीक उसी प्रकार तारों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है, लेकिन धातु के तारों में से नहीं. प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए कांच के तंतु (Fibres) प्रयोग में लाए जाते हैं. ये तंतु बहुत बारीक होते हैं. विज्ञान की वह शाखा जिस में प्रकाश के द्वारा संचरण का अध्ययन किया जाता है, तंतु प्रकाशको या फाइबर ऑप्टिक (Fibre Optics) कहलाती है. ब्रिटेन…
मूलरूप से आग का लगना एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें ऊष्मा और प्रकाश पैदा होते हैं. आग जलने के लिए तीन चीजों का होना आवश्यक है-ईंधन, आक्सीजन या वायु तथा ऊष्मा, जो ईंधन का तापमान ज्वलनांक तक बढ़ा सके. आग बुझाने के लिए इन तीनों कारणों में से किसी एक या एक से अधिक कारणों को नष्ट करना होता है, अर्थात् आग बुझाने के लिए या तो जलते हुए ईंधन का तापमान कम कर दिया जाए या आक्सीजन या वायु की सप्लाई काट दी जाए या जलने वाले ईंधन को ही समाप्त कर दिया जाए. सभी प्रकार के अग्निशामक इन्हीं…
पोलारॉयड कैमरा (polaroid camera) एक ऐसा कैमरा है, जो मिनट भर किसी भी वस्तु का फोटो तैयार कर देता है. इससे साथ के साथ ही पोजिटिव प्रिंट तैयार हो जाते हैं. इसका आविष्कार अमेरिका के एडविन एच लैंड ने किया था. पहला कैमरा बाजार में बिकने के लिए सन् 1948 में आया. इस समय इससे केवल श्वेत और काले (Black and White) फोटो ही खींचे जा सकते थे. बाद में ऐसे कैमरे भी विकसित हो गए, जिनसे रंगीन चित्र भी खींचे जा सकते हैं. पोलारॉयड कैमरा की रील यानी फिल्म दोहरी होती है. इसका एक हिस्सा नेगेटिव बनाने का काम…
सन् 1960 में अमेरिका के खगोलशास्त्री ए. आर. ससेनडेगे (A.R. Sandage) ने बाह्य अंतरिक्ष में कुछ नये खगोलीय पिंडों का पता लगाया है, जिन्हें क्वासर (Quasars) या क्वासी स्टैलर सोर्सेज या क्वासी स्टैलर ऑबजेक्ट (QSO) कहते हैं. इन पिंडों के चित्र तारों से मिलते-जुलते हैं, लेकिन वास्तव में ये तारे नहीं हैं. इनकी एक विशेषता यह है कि इनके स्पैक्ट्रम में रेड शिफ्ट देखने को मिलती है. चित्र में ये तारों की भांति इसलिए दिखते हैं, क्योंकि इनके कोणीय व्यास लगभग एक आर्क सेकेंड के बराबर होते हैं. इतने छोटे कोणीय व्यास को हमारे दूरदर्शी रिजौल्व नहीं कर पाते, क्योंकि…