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भारत में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार स्पष्ट, लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च सत्ता: रिजिजू

भारत में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार स्पष्ट, लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च सत्ता: रिजिजू



पणजी

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि एक संवैधानिक संस्था द्वारा दूसरे की शक्तियों का अतिक्रमण करने के प्रयासों का डटकर विरोध किया जाना चाहिए, क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा, ”लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च सत्ता है और संविधान अंतिम मार्गदर्शक।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आई टिप्पणी

रिजिजू की टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस फैसले के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियां प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस वाली समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाने की बात कही गई थी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि यह सिद्धांत कि अदालतें कानून नहीं बना सकती, एक मिथक है, जो बहुत पहले ही टूट चुका है।

न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार स्पष्ट

गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित 23वें राष्ट्रमंडल विधि सम्मेलन के दौरान रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार स्पष्ट हैं। यदि कोई शाखा दूसरी शाखा के क्षेत्र में अतिक्रमण करने की कोशिश करती है तो इसका जमकर विरोध किया जाना चाहिए, क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए ही बड़ा खतरा है।

जनादेश का किसी भी कीमत पर करना चाहिए सम्मान

कानून मंत्री ने कहा कि कोई भी संवैधानिक प्रविधानों को चुनौती नहीं दे सकता। किसी को भी संविधान के प्रविधानों की अवहेलना करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन कर दिए गए जनादेश का किसी भी कीमत पर सम्मान किया जाना चाहिए और इसे केवल अभियान से चुनौती नहीं दी जा सकती।

 

हमें संवैधानिक कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिएहमला

रिजिजू ने यह भी कहा कि उन्होंने हाल के दिनों में देखा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर लोकतंत्र पर हमला करने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना था कि जब हम स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की बात करते हैं तो हमें संवैधानिक कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए।

भारत में लोकतंत्र को खत्म नहीं किया जा सकता

कानून मंत्री ने कहा कि भारत में लोकतंत्र को खत्म नहीं किया जा सकता, क्योंकि भारतीय स्वाभाविक रूप से लोकतांत्रिक हैं। 1975 में आपातकाल लगाने का प्रयास किया गया था, लेकिन इसका विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि लोगों के जनादेश का अपमान करने के लिए सभी सोच-समझकर किए गए दुर्भावनापूर्ण अभियानों का पर्दाफाश किया जाना चाहिए और उनका विरोध किया जाना चाहिए।


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